
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर ( Jammu Kashmir ) में पिछले कुछ दिनों में आतंकी घटनाओं में तेजी देखने को मिली है। कई आम लोगों को आतंकी निशाना बना रहे हैं। कईयों को तो मारा भी गया है। इस बीच अब जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बड़ा फैसला लेते हुए सैयद अली शाह गिलानी ( Syed Ali Shah Geelani ) के पोते अनीस उल इस्लाम को उसकी सरकारी नौकरी से बर्खास्त कर दिया है।
दरअसल घाटी में बढ़ रही आतंकी घटनाओं के बीच पिछले कुछ दिनों से सुरक्षा एजेंसियां कई इलाकों में छापेमारी कर रही है। सरकार ऐसे स्थानीय लोगों की पहचान में जुटी है जो आतंकियों को घुसपैठ और फिर वारदात को अंजाम देने में मदद कर रहे हैं।
एनआईए की हाल में छापेमारी के दौरान 700 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया था। वहीं अब जम्मू प्रशासन भी एक्शन मोड में नजर आ रहा है। गिलानी के पोते की बर्खास्तगी इसी कड़ी का हिस्सा है।
गिलानी के पोते समेत अन्य पर भी एक्शन
अनीस उल इस्लाम जम्मू कश्मीर में शेर ए कश्मीर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बतौर रिसर्च अफसर काम कर रहा था, लेकिन अब उस सर्विस से ही उसे टर्मिनेट कर दिया गया है।
उसके अलावा जम्मू-कश्मीर के डोडा स्थित स्कूल के एक टीचर फारूक अहमद भट्ट को भी नौकरी से बाहर कर दिया गया है। उसका भाई मोहम्मद अमीन भट्ट एक सक्रिय LeT आतंकवादी है जो पाक अधिकृत कश्मीर से काम कर रहा है।
ऐसी जानकारी मिली थी कि फारूक अपने भाई के इशारे पर एक आतंकी हमला करने वाला था।
अनुच्छेद 311 के तहत किया गया बर्खास्त
दरअसल जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत दोनों अनीस और फारूक को बर्खास्त किया गया है।
अब तक प्रशासन की ओर से कोई साफ कारण तो नहीं बताया गया है, लेकिन खबर है कि दोनों अनीस और फारूक पर आतंकी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने का आरोप था। यही वजह है कि समय रहते हुए भी दोनों के खिलाफ ये सख्त कदम उठाया गया है।
पलायन ने बढ़ाई चिंता
घाटी में लगातार अल्पंसख्यकों को निशाना बनाए जाने की वजह से कश्मीरियों में डर का माहौल है। कई लोग पलायन करने को मजबूर हैं। यही नहीं सरकारी नौकरी कर रहे लोग भी ट्रांसफर मांग रहे हैं। हालांकि सरकार ने तुरंत नौकरी पर लौटने की बात कही है, लेकिन आतंकियों की ओर से फैलाई जा रही दहशत ने इन लोगों को हौसले पस्त कर दिए हैं।
बता दें कि इसी वर्ष 1 सितंबर को अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का निधन हो गया था। उनके निधन के बाद ऐसे कयास लगाए गए थे कि घाटी में बड़े पैमाने पर हिंसा हो सकती है, लेकिन क्योंकि प्रशासन और सेना मुस्तैद रही, ऐसे में कोई हिंसा भी नहीं हुई।
Published on:
17 Oct 2021 11:31 am
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