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खूंखार अपराधी मयंक सिंह को विदेश से पकड़ लाई झारखंड ATS, 50 से अधिक मुकदमे; जानें किसके इशारों पर करता था क्राइम

झारखंड ATS ने एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर के कुख्यात अपराधी मयंक सिंह को अज़रबैजान से गिरफ्तार कर भारत लाया है! 50 से ज़्यादा मामलों में वांछित मयंक, अमन साहू और लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़ा हुआ है और इनके इशारों पर काम करता था। यह झारखंड पुलिस के लिए ऐतिहासिक प्रत्यर्पण है, जिससे देश-विदेश में छिपे अपराधियों के लिए एक कड़ा संदेश गया है। आगे की पूछताछ में कई बड़े खुलासे होने की उम्मीद है।

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रांची

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Mukul Kumar

Aug 23, 2025

खूंखार अपराधी मयंक सिंह उर्फ ​​सुनील मीणा। (फोटो- ANI)

खूंखार अपराधी मयंक सिंह उर्फ ​​सुनील मीणा को अजरबैजान के बाकू से वापस लाया गया है। झारखंड के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा मयंक को भारत लाया गया है। इसी तरह झारखंड पुलिस के लिए यह पहला ऐतिहासिक प्रत्यर्पण है।

सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद, सिंह को रांची लाया गया। एटीएस आज उसे रामगढ़ अदालत में पेश करेगी और उसकी रिमांड की मांग करेगी। इस गैंगस्टर के खिलाफ झारखंड, राजस्थान और अन्य राज्यों में लगभग 50 मामले दर्ज हैं।

क्या बोले एटीएस के एसपी?

एटीएस के एसपी ऋषव कुमार झा ने कहा कि हम मयंक को अजरबैजान बाकू से पकड़कर वापस लाए हैं। झारखंड पुलिस के इतिहास में यह पहला सफल प्रत्यर्पण है, हमें उम्मीद है कि देश से बाहर रह रहे बाकी अपराधियों को भी जल्द वापस लाया जाएगा।

उन्होंने आगे कहा कि मयंक सिंह स्थानीय गैंगस्टर अमन साहू और कुख्यात लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के बीच की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।

झा ने कहा कि शुरुआती जांच से यह मालूम चलता है कि मयंक अमन साहू और लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के बीच एक संपर्क सूत्र है। हम उससे पूछताछ करेंगे और जेल में दोनों गिरोहों के बीच किस तरह के संबंध हैं, इसकी पूरी जानकारी जुटाएंगे।

किसके इशारों पर क्राइम करता था मयंक?

रायपुर पुलिस ने खुफिया जानकारी मिलने पर रविवार को राजस्थान और झारखंड से अमन साहू गिरोह के चार शूटरों को गिरफ्तार किया था।

बताया जा रहा है कि ये शूटर मयंक सिंह के निर्देशों पर काम कर रहे थे। वहीं, मयंक खुद लॉरेंस बिश्नोई और अमन साहू के इशारों पर क्राइम करता था।

सभी शूटर मयंक के लगातार संपर्क में थे। वे लॉरेंस बिश्नोई और अमन साहू के गिरोह के लक्ष्यों को अंजाम तक पहुंचाते थे। वे अपने काम और पहचान के लिए कोडनेम का भी इस्तेमाल करते थे।