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जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में खुद को बताया XXX, जानें कब छुपा सकते है पहचान

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में जस्टिस वर्मा ने पहचान छिपाई है। याचिका में उनके नाम की जगह ‘XXX’ लिखा है।

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भारत

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Ashib Khan

Jul 28, 2025

जस्टिस वर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई (Photo-X @KraantiKumar)

Justice Yashwant Verma Case: कैश बरामदगी मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। जस्टिस दीपांकर दत्ता और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि यह याचिका इस तरह दायर नहीं की जानी चाहिए थी। मामले में सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि इस केस में पहला पक्ष सुप्रीम कोर्ट ही है, क्योंकि आपकी शिकायत उल्लिखित प्रक्रिया के विरुद्ध है। दरअसल, जस्टिस वर्मा ने याचिका में अपनी पहचान छिपाई है।

कपिल सिब्बल ने दी दलीलें

बता दें कि जस्टिस वर्मा की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलीलें दी। SC ने कपिल सिब्बल ने पूछा- ये रिपोर्ट रिकॉर्ड पर क्यों नहीं है। इस पर सिब्बल ने कहा कि ये रिपोर्ट पब्लिक डोमेन में है। इस पर जस्टिस दत्ता ने कहा कि आपकों अपनी याचिका के साथ रिपोर्ट लगानी चाहिए थी। 

‘उचित प्रक्रिया का नहीं किया पालन’

कपिल सिब्बल ने जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए संविधान में निर्धारित नियमों का हवाला दिया। सिब्बल ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ कार्रवाई की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसमें उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। 

‘जांच कमेटी के सामने क्यों नहीं हुए पेश’

जस्टिस यशवंत वर्मा से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आप जांच समिति के सामने पेश क्यों नहीं हुए? ⁠क्या आपने पहले वहां से अनुकूल आदेश मिलने की उम्मीद की थी? बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी।

कपिल सिब्बल ने दी ये दलीलें

सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि नकदी आउटहाउस में मिली थी और सवाल किया कि इसका श्रेय जज को कैसे दिया जा सकता है। जस्टिस दत्ता ने कहा कि जब समिति गठित की गई थी, तब आपने चुनौती क्यों नहीं दी, इंतज़ार क्यों किया? न्यायाधीश पहले भी इन कार्यवाहियों में शामिल होने से बचते रहे हैं।  सिब्बल ने कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा समिति के समक्ष इसलिए उपस्थित हुए क्योंकि उन्हें लगा कि इससे पता चल जाएगा कि यह नकदी किसकी थी। 

जस्टिस वर्मा ने याचिका में छिपाई पहचान

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में जस्टिस वर्मा ने पहचान छिपाई है। याचिका में उनके नाम की जगह ‘XXX’ लिखा है। दरअसल, कोर्ट में इस तरह से पहचान तब दर्ज कराई जाती है जब मामला यौन उत्पीड़न या हमले की शिकार महिला याचिकाकर्ताओं हो। इसके अलावा वैवाहिक हिरासतों के मामले में नाबालिगों की पहचान उजागर होने से रोकने के लिए किया जाता है।