
जज यशवंत वर्मा पहुंच गए सुप्रीम कोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा इन दिनों काफी विवाद में घिरे हैं। कुछ महीने पहले उनके सरकारी बंगले से 15 करोड़ रुपये बरामद हुए थे। इसके बाद से उनकी मुश्किलें बढ़ गईं हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए एक कमिटी बनाई थी। इस कमिटी में तीन जजों को शामिल किया गया। कमिटी की तरफ से जांच रिपोर्ट जारी कर दी गई है। हालांकि, इस इंटरनल जांच की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है।
वहीं, इस रिपोर्ट के आधार पर पूर्व चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने वर्मा को पद से हटाने के लिए उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की है। यशवंत वर्मा अब इस सिफारिश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि जस्टिस वर्मा ने ऐसे समय में सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख किया है, जब संसद में 21 जुलाई से मानसून सत्र शुरू होने वाले हैं। इस सत्र के दौरान ही उनको पद से हटाने के लिए महाभियोग का प्रस्ताव लाया जा सकता है।
जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले में लगभग 15 करोड़ रुपये मिले थे। भारी मात्रा में कैश मिलने के बाद देश भर में बवाल मच गया था।
उन्हें पद से हटाने की मांग की जा रही थी। घर से कैश मिलने के बाद उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहबाद हाई कोर्ट में भेज दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस वर्मा ने जांच कमिटी की रिपोर्ट और पूर्व चीफ जस्टिस की सिफारिश को चैलेंज किया है। जस्टिस वर्मा की तरफ से दायर की गई याचिका में उन्हें हाई कोर्ट के जज से पद से हटाने की सिफारिश को असंवैधानिक करार करने की मांग की गई है।
जस्टिस वर्मा ने अपनी याचिका में तीन जजों वाली जांच कमिटी पर भी सवाल उठ दिए हैं। उनका कहना है कि कमिटी ने उन्हें जवाब देने का मौका नहीं दिया, पहले ही उसने उनके खिलाफ रिपोर्ट सब्मिट कर दी।
इसी साल 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के घर पर आग लगी थी। जानकारी मिलने के बाद जब फायर ब्रिगेड उनके घर पर पहुंची तो भारी मात्रा में नोटों की गड्डियां मिलीं, जो आग में जल चुकी थीं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मामले पर संज्ञान लेते हुए जस्टिस वर्मा का इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था।
जस्टिस वर्मा का जन्म इलाहाबाद में हुआ था। हालांकि, उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से बीकॉम की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद एमपी की रीवा यूनिवर्सिटी से वर्मा से LLB किया था। 1992 में जस्टिस वर्मा वकील बने।
जस्टिस वर्मा को 13 अक्टूबर 2014 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में नियुक्त किया गया था। इसके बाद साल 2016 में जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट का परमानेंट जज बनाया गया।
साल 2021 में जस्टिस वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट के जज नियुक्त हुए थे। घर से कैश मिलने के बाद उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट में वापस भेज दिया गया है।
Updated on:
18 Jul 2025 11:55 am
Published on:
18 Jul 2025 11:50 am
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