
के दुर्गा प्रसाद, पूर्व IPS (फोटो-ANi)
Greyhound Force that killed Hidma:माओवादी कमांडर माड़वी हिड़मा की मौत सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी सफलता है। पूर्व सीआरपीएफ महानिदेशक और आंध्र प्रदेश में नक्सलियों से मुकाबला करने के लिए बनाए गए मशहूर ग्रेहाउंड फोर्स के फाउंडर के. दुर्गा प्रसाद (K Durga Prasad) ने इंडियन एक्सप्रेस संग बातचीत में कहा कि हिड़मा केवल एक नेता नहीं, बल्कि ऐसा सैन्य रणनीतिकार था। जिसका प्रभाव पूरे दंतेवाड़ा-सुकमा बेल्ट में बेहद गहरा था।
के. दुर्गा प्रसाद ने कहा कि हिड़मा एक ऐसा कमांडर था जो घातक हमले कर सकता था। वह सुरक्षाबलों को भारी नुकसान पहुंचाकर आसानी से बच निकलता था। ऐसे नेता के खत्म होने से माओवादियों का मनोबल टूटना तय है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश के बॉर्डर पर हुए मुठभेड़ में उसके कई करीबी मारे गए हैं। वहीं, राज्य में कई माओवादियों की गिरफ्तारी भी हुई है।
दुर्गा प्रसाद ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों की पकड़ मजबूत होती जा रही है। इस वजह से वहां माओवादी भारी दबाव का सामना कर रहे हैं। इसलिए वह उत्तर, दक्षिण और पश्चिम बस्तर को छोड़ अधिकांश इलाकों में या तो वे मारे जा चुके हैं या फिर सरेंडर कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि ओडिशा में अभी भी कुछ माओवादी नेता बचे हैं, लेकिन उनकी क्षमता बेहद कम हैं। वह भी लगातार कमजोर होते जा रहे हैं।
के. दुर्गा प्रसाद प्रसाद ने कहा कि हिड़मा के मारे जाने के बाद अब बड़ी संख्या में माओवादी सरेंडर करेंगे। उन्होंने सोनू ऊर्फ भूपति ऊर्फ वेणुगोपाल के सरेंडर का उदाहरण देते हुए कहा कि सोनू के सरेंडर के बाद बड़ी संख्या में माओवादियों ने सरेंडर किया। सोनू ने आत्म समर्पण के समय कहा था कि यह लड़ने का समय नहीं है, मुख्यधारा में लौटो। यही संदेश अब बाकी नेताओं के लिए भी है।
उन्होंने कहा कि हिड़मा को पकड़ना बेहद मुश्किल था। क्योंकि वह उसी जंगल में पैदा हुआ था। जंगल, पगडंडियां, जनजातीय समुदाय यह सब उसकी ताकत थे। वह जनजातीय समाज में घुल-मिलकर पल भर में गायब हो सकता था। कई मौकों पर सुरक्षाबलों से भी गलतियां हुई थी।
ग्रेहाउंड्स की नींव 1989 में पड़ी और इसे देश की सबसे प्रभावी एंटी-माओवादी फोर्स माना जाता है। के. दुर्गा प्रसाद ने कहा कि यह फोर्स पूरी तरह फिटनेस पर आधारित था। इसमें भर्ती रैंक न्यूट्रल के आधार पर होती है, मतलब कि यहां सिपाही से लेकर IPS तक का चयन केवल क्षमता के आधार पर किया जाता है। इस फोर्स के जवानों को जंगल लड़ने के लिए गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग दी जाती है। हमने इसमें कई ऐसी रणनीतियों को शामिल किया, जिसका इस्तेमाल नक्सली करते थे। उन्होंने कहा कि हमने कभी दुश्मन (नक्सलियों) को अनाड़ी नहीं समझा। प्रसाद ने कहा कि आज भले ही तकनीक हावी है, लेकिन अभी भी ह्यूमन इंटेल का कोई तोड़ नहीं है। इसलिए ह्यूमन इंटेल को मजबूत बनाए रखना होगा।
प्रसाद ने कहा कि आदिवासी नक्सलियों के लिए सहानुभूति रखते हैं। नक्सलवाद खत्म करने के लिए सरकार को बड़े पैमाने पर जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू करना होगा। उसे गांव-गांव और घर-घर तक पहुंचाना होगा। यही रणनीति आंध्र और तेलंगाना में माओवादी आंदोलन को खत्म करने में सबसे प्रभावी रही है। नक्सलवाद के फिर से खडे़ होने के सवाल पर दुर्गा ने कहा कि असमानता सिर्फ आर्थिक नहीं, सामाजिक भी होती है। जहां भी अन्याय महसूस होगा, वहां हिंसक विचार पैदा हो सकते हैं। हमारा काम है कि ऐसी शिकायतें बढ़ने से पहले ही दूर कर दी जाएं।
Published on:
24 Nov 2025 01:24 pm
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