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Karnataka Caste Census: जातीय जनगणना को लेकर डिप्टी सीएम शिवकुमार का बड़ा बयान, बताया नहीं पूछे जाएंगे ये सवाल

कर्नाटक में जातीय जनगणना को लेकर डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने अधिकारियों को सलाह दी है कि वे लोगों से निजी सवाल नहीं पूछे।

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डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार (Photo-IANS)

Karnataka Caste Census: कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार (DK Shivkumar) ने रविवार को अधिकारियों को सलाह दी है कि वे जातीय जनगणना के दौरान कोई भी निजी सवाल नहीं पूछे। साथ ही उन्होंने ज्यादा से ज्यादा लोगों को सर्वे में शामिल होने का भी अनुरोध किया। बता दें कि कर्नाटक सरकार ने प्रदेश स्तर पर सामाजिक और आर्थिक सर्वे शुरू कर दिया है। इसे जातीय जनगणना का नाम दिया जा रहा है।

‘निजी जानकारी साझा करने के लिए बाध्य नहीं लोग’

पत्रकारों से बात करते हुए डिप्टी सीएम ने कहा कि सर्वे में भाग लेते समय लोगों को निजी जानकारी बताने के लिए बाध्य नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा- मैंने अधिकारियों से कहा कि वे बेंगलुरु में लोगों से यह न पूछें कि लोग कितने मुर्गे, भेड़ और बकरी पाल रहे हैं और उनके पास कितना सोना है। ये निजी मामले हैं। 

उन्होंने आगे बताया कि अधिकारियों को कहा कि यह पूछने की कोई ज़रूरत नहीं है कि उनके पास कितनी घड़ियां या फ्रिज हैं। मैंने उन्हें सलाह दी है कि ऐसे सवाल पूछने की कोई ज़रूरत नहीं है। मुझे नहीं पता कि वे क्या करेंगे, क्योंकि यह एक स्वतंत्र आयोग है।

सर्वेक्षण और इसकी लागत से संबंधित आपत्तियों का जवाब देते हुए डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा- किसी को भी आपत्ति उठाने दीजिए, सर्वेक्षण तो होना ही है। डिप्टी सीएम ने बताया- कोर्ट ने कहा है कि सर्वेक्षण स्वैच्छिक है और लोग जो चाहें उसका उत्तर दे सकते हैं और अगर वे किसी प्रश्न का उत्तर नहीं देना चाहते तो उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है।

22 सितंबर से शुरू हुआ सर्वेक्षण

बता दें कि कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा किया गया यह सर्वेक्षण 22 सितंबर को शुरू हुआ और 7 अक्टूबर तक चलेगा। ग्रेटर बेंगलुरु में इससे पहले पांच नए निगमों के गठन और प्रशिक्षण एवं तैयारियों की आवश्यकता के कारण देरी हुई थी। 420 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से किए जाने वाले इस सर्वेक्षण में 60 प्रश्नों वाली प्रश्नावली का उपयोग किया गया है।