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कर्नाटक के राज्यपाल ने धर्मांतरण विरोधी विधेयक को दी मंजूरी, इस कानून को लागू करने वाला 9वां राज्य बना

locationनई दिल्लीPublished: May 17, 2022 08:28:10 pm

Submitted by:

Archana Keshri

कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने मंगलवार को धर्मांतरण विरोधी विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी। तो वहीं कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने राज्य सरकार के वादे को दोहराते हुए कहा कि यह विधेयक किसी धर्म के खिलाफ नहीं है।

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कर्नाटक में धर्मांतरण विरोधी बिल को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद विधानसभा में पेश किया गया था। अब कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने मंगलवार को धर्मांतरण विरोधी विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी। विपक्ष और ईसाई समूहों के विरोध के बावजूद, राज्य सरकार ने धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून को प्रभावी बनाने के लिए अध्यादेश का रास्ता अपनाया। बता दें कि बोम्मई सरकार ने पिछले साल दिसंबर में ‘कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण विधेयक को विधानसभा में पेश किया गया था। तब इस बिल को लेकर सदन में काफी हंगामा हुआ था।
तो वहीं कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने राज्य सरकार के वादे को दोहराते हुए मंगलवार को कहा कि यह विधेयक किसी धर्म के खिलाफ नहीं है। लेकिन जबरन या प्रलोभन के जरिए भी धर्मांतरण की कानून में कोई जगह नहीं है। ईसाई समुदाय की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश करते हुए मंत्री ने स्पष्ट किया कि प्रस्तावित कानून में ऐसा कुछ नहीं है जो धार्मिक अधिकार प्रदान करने वाले संवैधानिक प्रावधानों में कटौती करता हो।
धर्मांतरण विरोधी विधेयक का उद्देश्य ‘लुभाना’, ‘जबरदस्ती’, ‘बल’, ‘धोखाधड़ी’ और ‘जन’, रूपांतरण के माध्यम से धर्मांतरण को रोकना है। सरकार के मुताबिक इन घटनाओं से राज्य में ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ में खलल पड़ता है। मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा था, “चूंकि विधानसभा और परिषद का सत्रावसान हो गया है, इसलिए हम आज कैबिनेट में एक अध्यादेश लाने का प्रस्ताव रख रहे हैं।”

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इस कानून का विरोध करते हुए एक ज्ञापन के साथ ईसाई समुदाय के नेता सोमवार को राज्यपाल थावरचंद गहलोत से मिलने पहंचे थे। उनकी आशंकाओं को दूर करने की कोशिश करते हुए मंत्री ने स्पष्ट किया कि प्रस्तावित कानून धार्मिक अधिकार प्रदान करने वाले संवैधानिक प्रावधानों में कटौती नहीं करता।
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आपको बता दें, इस बिल में ‘जबरन’ धर्मांतरण के लिए 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ तीन से पांच साल की कैद का प्रस्ताव है। बिल में यह भी कहा गया है कि नाबालिग, महिला या एससी/एसटी व्यक्ति को धर्म परिवर्तन करने पर तीन से 10 साल की जेल और 50,000 रुपये का जुर्माना होगा। सामूहिक धर्मांतरण के लिए तीन से 10 साल की जेल होगी, जिसमें एक लाख रुपये तक का जुर्माना होगा।

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