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EXCLUSIVE: सावन दूसरा सोमवार को श्री काशी विश्वनाथ का गौरीशंकर स्वरूप श्रृंगार दर्शन, पहले सोमवार को विश्वनाथ रूप का

-हर सोमवार को बाबा के अलग-अलग स्वरूपों का होगा दर्शन

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Kashi Vishwanath darshan as a Gaurishankar to second Monday of Sawan

अनुराग मिश्रा!नई दिल्ली: सावन महीने के दूसरे सोमवार को श्री काशी विश्वनाथ धाम में बाबा के गौरी शंकर स्वरूप का श्रृंगार होगा। महादेव के भक्त बाबा के शंकर पार्वती स्वरूप का दर्शन पाएंगे। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रावण मास के हर सोमवार को काशी विशेश्वर के अलग-अलग स्वरूप का श्रृंगार किया जा रहा है। श्रावण मास का दूसरा सोमवार है। इस वर्ष सावन में पांच सोमवार पड़ रहे हैं। बाबा हर सोमवार को अलग-अलग स्वरूपों में भक्तों को दर्शनं दे रहे हैं। बाबा के भक्त श्री विश्वेश्वर के चौखट तक सरलता और सुगमता से पहुंच कर जलाभिषेक कर सकें, इसके लिए लगातार व्यवस्थाओं में बढ़ोतरी और सुधार किया जा रहा है।

दर्शनार्थियों को भीड़ से बचाने के लिए एक लाइन लगाई जाएगी और धाम की क्षमता के अनुसार ही बैरिकेडिंग कर भक्तों को धाम में प्रवेश दिए जाने की व्यवस्था बनाई गई है।

पहले सावन सोमवार को बाबा विश्वनाथ के रूप में सजाए गए भोलेनाथ

श्रावण मास के प्रथम सोमवार को भी बाबा विश्वनाथ के स्वरूप का श्रृंगार हुआ था। शिव भक्त सावन के दूसरे सोमवार को अपने बाबा के विशेष स्वरूप शंकर पार्वती के रूप में दर्शन पाएंगे। श्री काशी विश्वनाथ धाम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने बताया कि श्रावण मास के दूसरे सोमवार को देवाधिदेव महादेव के गौरी शंकर (शंकर पार्वती ) स्वरूप का श्रृंगार होगा। श्री विश्वेश्वर के भक्त बाबा के इस विशेष स्वरूप का दर्शन कर पाएंगे। 

सावन के दूसरे सोमवार को सभी प्रवेश मार्गों से कतार व्यवस्था को एकीकृत करते हुए सिंगल लाइन की व्यवस्था रखी गई है, जिससे दर्शनार्थियों को लाइन व्यवस्था में भीड़ का सामना न करना पड़े। प्रत्येक 50 मीटर पर लाइन व्यवस्था को नियंत्रित रखने के लिए बैरियर लगाया गया है। धाम में लगे बैरिकेडिंग की क्षमता के अनुसार ही दर्शनार्थियों को छोड़ा जाएगा। सावन के पहले सोमवार की भांति दूसरे सोमवार को भी नंदूफेरिया, सिल्को गली, ढुंढिराज गणेश, ललिता घाट, सरस्वती फाटक प्रवेश मार्ग से श्रद्धालु बाबा के चौखट तक पहुंच पाएंगे। सीएम योगी पहले सोमवार को बाबा के दर्शन करने पहुंचे थे। सीएम ने सभी अधिकारियों को आस्था के साथ श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर भी विशेष जोर देने का निर्देश दिया था।