यही नहीं, यातायात व्यवस्था भी चरमरा गई है। मरीजों, बुजुर्गों और दिव्यांगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सीमाएं बंद होने से लोगों को ज्यादा दूरी तय करनी पड़ रही है। आयोग को यह शिकायत भी मिली हैं कि आंदोलन की वजह से कुछ जगह लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है।
राज्यों को नोटिस देने के अलावा आयोग ने आर्थिक विकास संस्थान से भी दस अक्टूबर तक आंदोलन के कारण उद्योगों पर पड़े प्रभाव की रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने कहा कि प्रदर्शन स्थल पर एक मानवाधिकार कार्यकर्ता के साथ कथित रूप से सामूहिक रेप के मामले में झज्जर के डीएम से मृतक के परिजन को मुआवजे के भुगतान के संबंध में रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है।
उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार द्वारा गत वर्ष पारित किए गए नए कृषि विधेयकों के विरोध को लेकर पिछले कई महिनों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और इन कानूनों को पूरी तरह से रद्द करने की मांग कर रहे हैं। दिल्ली बॉर्डर पर कई जगहों पर यातायात को पूरी तरह से रोक दिया गया है जिसकी वजह से स्थानीय लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।