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Krishna Janmashtami 2021: जानिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान को क्यो खिलाते हैं 56 भोग? ऐसे शुरू हुई थी यह परंपरा

Krishna Janmashtami 2021: जन्माष्टमी के अवसर पर पूरे दिन घरों तथा मंदिरों में पूजा-पाठ और भजन, कीर्तन किए जाते हैं तथा आधी रात को भगवान कृष्ण का प्राकट्य होने के बाद उन्हें पंचगव्य से स्नान करवा कर नए वस्त्र पहनाए जाते हैं, उनकी विधिवत पूजा कर उन्हें 56 भोग अर्पित किए जाते हैं।

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Krishna Janmashtami 2021: Know why 56 bhog are offered to krishna

Krishna Janmashtami 2021: नई दिल्ली। पूरे देश में आज कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व की धूम है। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस दिन पूजा पाठ के साथ भगवान कापे 56 भोग अर्पित करने की भी परंपरा है। जन्माष्टमी के अवसर पर पूरे दिन घरों तथा मंदिरों में पूजा-पाठ और भजन, कीर्तन किए जाते हैं तथा आधी रात को भगवान कृष्ण का प्राकट्य होने के बाद उन्हें पंचगव्य से स्नान करवा कर नए वस्त्र पहनाए जाते हैं, उनकी विधिवत पूजा कर उन्हें 56 भोग अर्पित किए जाते हैं। परन्तु क्या आप जानते हैं कि भगवान को चढ़ाए जाने वाले 56 भोगों में क्या-क्या होता है और यह परंपरा कब और किस तरह आरंभ हुई?

यह है 56 भोग का प्रसाद चढ़ाने की कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण बालपन में गोकुल में रहते थे जहां उनकी माता यशोदा उन्हें दिन में आठ बार भोजन करवाती थी। इस बार समस्त ग्रामवासी बहुत सारे पकवान बना कर इंद्र देव की आराधना कर रहे थे। तब श्रीकृष्ण ने पूछा कि यह सब क्या है और क्यों किया जा रहा है। तब नन्हे कृष्ण ने कहा कि वर्षा करवाना इंद्र देव का कार्य है यदि पूजा करनी है तो फिर गोवर्धन पर्वत की करनी चाहिए क्योंकि वही समस्त ग्रामीणों को फल-सब्जियां, औषधि, पशुओं का चारा, जलाऊ लकड़ी तथा अन्य सामान देते हैं। इस पर सभी को उनकी बात सही लगी और उन्होंने कृष्ण की सलाह मान कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की।

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ऐसा करने से इंद्र देव नाराज हो गए और पूरे गोकुल को डुबोने के लिए तेज बारिश कर दी। उस समय कृष्ण ने अपनी एक अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और उसके नीचे सभी ग्रामीणों को सुरक्षित कर उनकी रक्षा की। सात दिन तक मूसलाधार वर्षा करने के बाद भी जब इंद्र उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाया तो स्वयं ही क्षमा मांग कर चला गया।

इस प्रकार आठवें दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने हाथ से नीचे उतार कर रखा और विश्राम किया। उस समय सात दिन से भूखा होने के कारण उनकी माता उन्हें 56 पकवान (सात दिनों का एक साथ) बना कर लाई और उन्हें प्रेमपूर्वक खिलाने लगी। ऐसी मान्यता है कि तभी से भगवान कृष्ण को 56 भोग अर्पण किए जाते हैं।

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क्या-क्या शामिल होता है 56 भोग में
मान्यताओं के अनुसार 56 भोग में 20 तरह की मिठाईयां, 20 तरीके के ड्राई फ्रूट्स, 16 तरह के नमकीन पकवानों को शामिल किया जाता है। इनमें मुख्य तौर पर माखन-मिश्री, खीर, लड्डू, बादाम का दूध, चावल, हलवा, रसगुल्ला, गुलाब जामुन, मोहनभोग, मालपुआ, जलेबी जैसे पकवानों के साथ विभिन्न प्रकार की सब्जियां और नमकीन पकवानों को भी रखा जाता है।