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लालू यादव पलामू कोर्ट से हुए रिहा, अदालत ने 6 हजार रुपए अर्थ दंड लेकर दी ‘आजादी’, आचार संहिता उल्लघंन का मामला

Lalu Yadav: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव आचार संहिता उल्लघंन मामले में बरी हो गए हैं। अदालत ने 6 हजार रुपए अर्थ दंड लेकर उन्हें आजादी दे दी है। आपको बता दें ये राहत लालू यादव को 13 साल पुराने मामले में मिली है।

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Abhishek Kumar Tripathi

Jun 08, 2022

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Lalu Yadav: राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव आज आचार संहिता उल्लघंन मामले में पलामू कोर्ट में पेश हुए। जहां कोर्ट ने उन्हें बड़ी राहत देते हुए 6 हजार के जुर्माने पर बरी कर दिया है। हाईकोर्ट के वकील प्रभात कुमार सिंह ने कोर्ट में लालू की ओर से दलील दी। उन्होंने मीडिया को बताया कि लालू के खिलाफ 2009 में गढ़वा जिले में यह मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में लालू यादव जमानत में थे, जिस पर कोर्ट ने उन पर 6 हजार रुपए का अर्थ दंड लगाया है और उन्हें बरी कर दिया है।

आपको बता दें कि यह मामला झारखंड विधानसभा चुनाव 2009 के दौरान गढ़वा जिले में दर्ज किया गया था, जिसका मामला स्पेशल कोर्ट पलामू में चल रहा था। इस मामले में लालू प्रसाद यादव मजिस्ट्रेट सतीश कुमार मुंडा की अदालत में पेश हुए। इस मामले में पेश होने के लिए लालू यादव पिछले तीन दिनों से पलामू के सर्किट हाउस में रह रहे थे।


क्या है पूरा मामला

झारखंड विधानसभा चुनाव 2009 के दौरान गिरिनाथ सिंह गढ़वा विधानसभा क्षेत्र से राष्ट्रीय जनता दल प्रत्याशी थे, जिनके प्रचार के लिए लालू प्रसाद यादव वहां पहुंचे थे। लालू की बैठक गढ़वा के गोविंद हाई स्कूल में होनी थी। हेलीकॉप्टर उतरने के लिए गढ़वा प्रखंड के कल्याणपुर में हेलीपैड लगाया गया था। प्रशासन ने इसकी अनुमति दे दी थी, लेकिन हेलीकॉप्टर हेलीपैड पर उतरने के बजाय गोविंद हाई स्कूल के मैदान में सभा स्थल पर उतर गया। इसके बाद राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और हेलीकॉप्टर पायलट के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।


रास्ता भटक गया था हेलीकॉप्टर

गोविंद हाई स्कूल के मैदान में हेलीकॉप्टर के उतरने के बाद लालू प्रसाद यादव ने पायलट का बचाव करते हुए कहा था कि हेलीकॉप्टर रास्ता भटक गया था, इस कारण वह हेलीपैड पर नहीं उतर सके। दूसरी ओर प्रशासन का कहना है कि भीड़ जुटाने के लिए हेलीकॉप्टर को जबरन सभा स्थल पर उतारा गया। इस मामले में कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला सुनाया है।