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जलियांवाला बाग की तरह आजादी से जुड़े हर स्मारक को संवारने का काम जारी: पीएम मोदी

  किसी भी देश के लिए अपने अतीत की ऐसी विभीषिकाओं को नजरअंदाज करना सही नहीं है। इसलिए हमने 14 अगस्त को हर वर्ष विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है।

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Dhirendra Kumar Mishra

Aug 28, 2021

PM Narendra Modi

PM Narendra Modi

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) ने आज पंजाब के अमृतसर जिले में स्थित जलियांवाला बाग स्मारक के पुनर्निर्मित ( Jallianwala Bagh Renovated Memorial Park ) परिसर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राष्ट्र को समर्पित करते हुए कहा कि आज हम अमर शहीदों को याद कर रहे हैं। 13 अप्रैल 1919 का दिन सभी देशवासियों के लिए अहम है। जलियांवाला बाग की घटना ने दूसरे के क्रांतिवीरों हौसला देने का काम किया। पीएम मोदी ने कहा कि पंजाब की वीर भूमि और जलियांवाला बाग की पवित्र मिट्टी को मेरा बार-बार प्रणाम। मां भारती की उन संतानों को भी नमन जिनके भीतर जलती आजादी की लौ को बुझाने के लिए हुकूमत ने अमानवीयता की सारी हदें पार कर दी थी।

युवाओं को हमेशा प्रेरित करेगा जलियांवाला बाग

पहले इस बाग में पीएम मोदी ने कहा कि 13 अप्रैल 1919 से पहले यहां पर बैसाखी के मेले लगते थे। यह स्थान नई पीढ़ी को हमेशा याद दिलाएगा कि हमारी आजादी की यात्रा कैसी रही। आजादी हासिल करने के लिए हमारे पूर्वजों ने क्या-क्या बलिदान दिया। राष्ट्र के प्रति हमारे कर्तव्य क्या होनी चाहिए और देश हित को कैसे पहली प्राथमिकता देनी चाहिए, ये हमें जलियांवाला बाग नरसंहार हमें सीख देती है। इन सभी वजहों से जलियांवाला बाग नई पीढ़ी को हमेशा प्रेरित करता रहेगा।

Read More: पीएम मोदी ने जलियांवाला बाग को नए रूप में किया राष्ट्र को समर्पित

अतीत की विभीषिका को नजरअंदाज करना ठीक नहीं

जलियांवाला बाग ( Jallianwala Bagh ) वो स्थान है, जिसने सरदार उधम सिंह, सरदार भगत सिंह जैसे अनगिनत क्रांतिवीरों, बलिदानियों और सेनानियों को हिंदुस्तान की आजादी के लिए मर मिटने का हौंसला दिया। किसी भी देश के लिए अपने अतीत की ऐसी विभीषिकाओं को नजरअंदाज करना सही नहीं है। इसलिए, भारत ने 14 अगस्त को हर वर्ष विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है।

आदिवासी समाज का भी रहा है बहुत बड़ा योगदान

पीएम मोदी ( PM Modi ) ने कहा कि आजादी के महायज्ञ में हमारे आदिवासी समाज का बहुत बड़ा योगदान है। इतिहास की किताबों में इसको भी उतना स्थान नहीं मिला, जितना मिलना चाहिए था। देश के 9 राज्यों में इस समय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों और उनके संघर्ष को दिखाने वाले म्यूजियम पर काम चल रहा है। इसी तरह आजादी से जुड़े हर स्मारक को फिर से तैयार करने का काम जारी है।

नेशनल वार मेमोरियल

देश की ये भी आकांक्षा थी कि सर्वोच्च बलिदान देने वाले हमारे सैनिकों के लिए राष्ट्रीय स्मारक होना चाहिए। नेशनल वॉर मेमोरियल आज के युवाओं में राष्ट्र रक्षा और देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देने की भावना जगा रहा है। हमारे पुलिस के जवानों और अर्धसैनिक बलों के लिए भी आजादी के इतने दिनों तक देश में कोई राष्ट्रीय स्मारक नहीं था। आज पुलिस और अर्धसैनिक बलों को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक भी देश की नई पीढ़ी को प्रेरित कर रहा है।

पंजाब की बेटियां भी शूरवीरता में पीछे नहीं

पंजाब में तो शायद ही ऐसा कोई गांव, ऐसी कोई गली है जहां शौर्य और शूरवीरता की गाथा न हो। गुरुओं के बताए हुए रास्ते पर चलते हुए पंजाब के बेटे-बेटियां मां भारती की तरफ टेढ़ी नजर रखने वालों के सामने चट्टान बनकर खड़े हो जाते हैं। गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाशोत्सव हो, गुरु गोविंद सिंह जी का 350वां प्रकाशोत्सव हो या फिर गुरु तेगबहादुर जी का 400वां प्रकाशोत्सव हो, केंद्र सरकार ने प्रयास किया है कि पूरी दुनिया में इन पावन पर्वों के माध्यम से गुरुओं की सीख का विस्तार हो।