scriptदिल्ली का दंगल: BJP पर प्रदर्शन दोहराने का दबाव, ‘इंडिया’ के लिए खोने को कुछ नहीं, पढ़िए ग्राउड रिपोर्ट | Lok Sabha Elections 2024: Pressure on BJP to repeat performance, India has nothing to lose, read ground report | Patrika News
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दिल्ली का दंगल: BJP पर प्रदर्शन दोहराने का दबाव, ‘इंडिया’ के लिए खोने को कुछ नहीं, पढ़िए ग्राउड रिपोर्ट

Lok Sabha Elections 2024 : दिल्ली की सातों सीट पर फिलहाल भाजपा का कब्जा है। भाजपा के सामने अपना पुराना प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है। आप और कांग्रेस के पास दिल्ली में खोने को कुछ नहीं। नई दिल्ली से अमित वाजपेयी की विशेष रिपोर्ट …

नई दिल्लीMay 25, 2024 / 09:13 am

Shaitan Prajapat

Lok Sabha Elections 2024 : दिल्ली दिल वालों की है। जिसे भी दिया, दिल खोलकर दिया। विधानसभा में आम आदमी पार्टी (आप) तो लोकसभा में भाजपा दोनों को जब बहुमत दिया तो ऐसा कि विपक्ष साफ ही कर दिया। अपने लिए आप और देश के लिए भाजपा को चुनती आई दिल्ली के इस दिल को समझने के लिए मैं भी पहुंच गया नई दिल्ली। दिल्ली के दिल में इस बार कुछ चुभन महसूस हुई। यह चुभन इस बार भाजपा को भी दर्द का अहसास कराती नजर आ रही है। यह जीत का अंतर कम करने की वजह भी बनती दिख रही है। इसकी एक वजह भाजपा के कुछेक वह सांसद भी हैं, जो इस बार टिकट कटने के कारण रूष्ट होकर बैठे हैं।
दिल्ली की सातों सीट पर फिलहाल भाजपा का कब्जा है। भाजपा के सामने अपना पुराना प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है। आप और कांग्रेस के पास दिल्ली में खोने को कुछ नहीं। अलबत्ता पाने को जरूर है। नतीजतन दिल्ली में फिर पैर जमाने के लिए कांग्रेस और आप दोनों इंडी गठबंधन के मंच पर आ गए हैं। हालांकि दोनों दलों के सामने दिल्ली में यह सवाल मुंह खोले खड़ा है कि दिल्ली में साथ तो पंजाब में एक-दूसरे के खिलाफ क्यों। भाजपा भी दिल्ली में हुए कांग्रेस एवं आप के इस गठबंधन को मौका परस्ती और स्वार्थ की राजनीति का नाम देकर भुनाने में जुटी है। इंडी गठबंधन भी भाजपा के मौजूदा सांसदों से जनता की नाराजगी को मुददा बनाने में जुटी है।
भाजपा का चुनावी अभियान पूरी तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी गारंटी के इर्दगिर्द बुना गया है। वहीं भाजपा के इस गढ़ को ढहाने के लिए इंडी गठबंधन का पूरा भविष्य कांग्रेस और आप के परस्पर वोट ट्रांसफर पर निर्भर है। भाजपा ने दिल्ली कांग्रेस से ज्यादा आप को टारगेट बोर्ड बना रखा है। शराब घोटाला तो था ही बीच चुनाव में स्वाति मालीवाल से कथित मारपीट के मामले ने भाजपा के चुनाव अभियान में उर्जा भर दी। राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीगढ़ आदि तमाम राज्यों मुख्यमंत्री और प्रभावी नेताओं को भी भाजपा ने दिल्ली में झोंक रखा है। इंडी गठबंधन का अधिकांश प्रचार अभियान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के हाथ में नजर आता है। केजरीवाल की गिरफ्तारी भी दिल्ली में एक मुद्दा है। भाजपा समर्थकों के बीच जहां यह भ्रष्टाचार का मुद्दा है तो आप समर्थकों के लिए यह भाजपा की दमनकारी राजनीति है। भाजपा और इंडी गठबंधन दोनों के हाथों में केजरीवाल की सलाखों के पीछे की तस्वीर प्लेकार्ड के रूप में नजर आती है, बस दोनों का मजमून अलग है। एक के प्लेकार्ड पर भ्रष्टाचार तो दूसरे पर अत्याचार का संदेश है। कांग्रेस के स्टार प्रचारक सचिन पायलट, सीपी जोशी आदि ने भी यहां कमान संभाल रखी है।

उत्तर पूर्वी दिल्ली : यूपी के भइया और बिहारी बाबू, देखें कौन भारी

जस नाम, तस गुण… उत्तर पूर्वी लोकसभा सीट यानी पूर्वांचल (बिहार व उत्तर-पूर्वी उत्तर प्रदेश) से आकर यहां बसे लोग ही चुनाव में निर्णायक साबित होते हैं। भाजपा ने सातों सांसदों में से एकमात्र मनोज तिवारी को दोहराया है। भोजपुरी गायक व अभिनेता के तौर पर पहचान बनाने वाले तिवारी ने तीसरी बार यहां से ताल ठोकी है। वहीं ‘इंडिया’ गठबंधन की तरफ से कांग्रेस ने जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष एवं तार्किक वक्ता कन्हैया कुमार पर दांव लगाया है। तिवारी उत्तर प्रदेश और कन्हैया बिहार की पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखते हैं।
दिल्ली में सर्वाधिक रोचक मुकाबला इसी सीट पर है। लोकसभा के कुछ क्षेत्रों में सांसद तिवारी के खिलाफ नाराजगी भी उभर कर सामने आ रही है। इस नाराजगी को मोदी के चेहरे और गारंटी के साथ राम मंदिर निर्माण जैसे मुद्दों से ढकने की कोशिश की जा रही है। इंडी गठबंधन का असर जमीन पर नजर आता है। प्रचार के दौरान कन्हैया के साथ भाजपा समर्थक की हाथापाई ने इसमें आग फूंकी है। केजरीवाल ने कन्हैया के साथ प्रचार में जुटाकर इंडी गठबंधन को कुछ शक्ति भी दी है।
मल्किया गंज में डेयरी संचालिका नीलम चोपड़ा से चुनावी चर्चा हुई। बदहाल सडक़ से नाराज नीलम का तर्क साफ है कि तिवारी जीतने के बाद कभी हमारी समस्याओं की सुध लेने नहीं आए। दिल्ली की केजरीवाल सरकार से बिजली, पानी, चिकित्सा की सुविधाओं से प्रसन्नचित नजर आईं नीलम ने कहा कि गठबंधन से फर्क नहीं पड़ता। दिल्ली में तो आप और कांग्रेस एक साथ ही हैं। बुराड़ी के सजंय झा ने कहा कि छठ के मौके पर यमुना नदी में हम पूजा करते हैं। इसकी सुध आज तक किसी ने नहीं ली। इसे लेकर वह आप से नाराज हैं। मुखर्जी नगर में मैस संचालक शंकरलाल शर्मा से बात शुरू हुई तो उन्होंने एक के बाद एक मोदी सरकार के विकास कार्य गिना दिए। केजरीवाल को शराब घोटाले का जनक बताकर नाराजगी भी व्यक्त कर दी। साथ ही कहा कि इसका असर चुनाव में जरूर दिखेगा। जीटीबी नगर में शिक्षिका रूकमणी झा से मुलाकात हुई। उन्होंने कहा कि महंगाई मुद्दा जरूर है लेकिन स्थानीय सांसद का चेहरा भी देखना पड़ेगा। साथ ही स्पष्ट भी कर दिया कि दोनों ही प्रत्याशी इस क्षेत्र से नहीं हैं।

नई दिल्ली : बांसुरी में सुषमा की छवि, आप की प्रतिष्ठा का सवाल

नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र देश का सर्वाधिक वीवीआईपी एरिया है। यहां करोल बाग, कैंट, मालवीय नगर जैसे क्षेत्र हैं। यहां संसद, राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास समेत तमाम सरकारी अफसर, कर्मचारियों के घर हैं। सबसे अहम कि यह मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र भी है। ऐसे में आप के लिए नई दिल्ली लोकसभा सीट प्रतिष्ठा की लड़ाई है। भाजपा ने यहां से मौजूदा सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी का टिकट काटकर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को उतारा है। ‘इंडिया’ गठबंधन के बैनर पर यहां से आप ने सोमनाथ भारती को टिकट दिया है। दोनों ही उम्मीदवार पेशे से वकील है और पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। यहां बांसुरी में झलकती सुषमा स्वराज की छवि भारती पर भारी पड़ती नजर आ रही है। भाजपा ने यहां राम मंदिर निर्माण और भारत के विश्वगुरू बनने जैसे मुद्दे उठा रखे हैं। वहीं आप दिल्ली सरकार की उपलब्धियों और केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद उमड़ी सहानुभूति के दम पर मैदान में है। लोधी रोड निवासी शंकरदयाल अग्रवाल ने कहा कि सुषमा स्वराज ने यहां कभी चुनाव नहीं लड़ा लेकिन देश के लिए उन्होंने बहुत काम किया है। अब उनकी बेटी यहां से चुनाव लड़ रही है। देखिए, क्या होता है। मालवीय नगर निवासी रामप्रकाश उपाध्याय ने कहा कि यह देश का चुनाव है। देश की सुरक्षा और साख बड़ा मुद्दा है। करोल बाग में ढाबा संचालक सुखबीर सिंह मखीजा ने कहा कि महंगाई बहुत हो गई है। इससे निजात दिलाने के रास्ते तलाशने चाहिए। बांसुरी भी अपनी मां सुषमा की लोगों को याद दिलाकर भावनात्मक अपील में जुटी हैं। भारती लोगों केजरीवाल की गिरफ्तारी को भाजपा की विपक्ष को खत्म करने की साजिश बताकर वोट जुटाने में सक्रिय हैं।

चांदनी चौक : हर किसी का सवाल, अग्रवाल या खंडेलवाल

चांदनी चौक लोकसभा सीट पर पहुंचे तो दिल्ली-6 फिल्म आंखों में तैर गई। भारत को यदि छोटी सी जगह में समेटकर देखना है तो चांदनी चौक चले आइए। पुरानी दिल्ली की तंग गलियों और गंगा-जमुनी तहजीब आज भी जीवंत है। ऐतिहासिक मुगलकालीन चांदनी चौक की महज डेढ़ किलोमीटर लंबी सडक़ पर लाल जैन मंदिर, गौरी शंकर मंदिर, शीशगंज गुरुद्वारा, सेंट्रल बैपटिस्ट चर्च और फतेहपुरी मस्जिद मौजूद है। हर धर्म के लोग हिन्दी के साथ उर्दू भी बोलते और समझते नजर आते हैं। इस सबके बीच पुरानी दिल्ली की तंग गलियों की अपनी समस्याएं भी हैं। यह समस्याएं हर चुनाव में लोगों की जुबां पर हैं। बस निदान नहीं होता। फिलहाल चुनाव लोकसभा का है। ‘इंडिया’ गठबंधन की वजह से यहां मुकाबला रोचक बन गया। अब हर किसी की जुबां पर सवाल है कि चांदनी चौक से अग्रवाल जीतेगा या खंडेलवाल। दरअसल,चांदनी चौक आप का मजबूत गढ़ है। यहां की सभी दस सीटें आप के कब्जे में हैं। इस सीट पर मुस्लिम वोटर्स के साथ व्यापारियों की संख्या भी खासी है। कांग्रेस ने अपने पुराने नेता जेपी अग्रवाल पर यहां से फिर भरोसा जताया है। जबकि भाजपा ने दिग्गज नेता डॉ. हर्षवर्धन का टिकट काटकर कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल को मैदान में उतारा है। चांदनी चौक में कपड़ा व्यापारी रमेश अग्रवाल ने कहा कि देश-दुनिया अपनी जगह है लेकिन चांदनी चौक की अपनी समस्याएं हैं। पराठे वाली गली में मिठाई विक्रेता सुवालाल माहेश्वरी ने कहा कि सरकार ने चांदनी चौक का कायापलट किया है। अब देशभर से लोगों यहां भीड़ रहती है। मेट्रो स्टेशन भी अब तो छोटा पडऩे लगा है। लंबी लाइन से होकर गुजरना पड़ता है। इसका विस्तार जरूरी है।

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