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मणिपुर BJP में क्यों मची है भगदड़? मात्र 19 दिन में 4 विधायकों का इस्तीफा, मुश्किल में CM एन बीरेन सिंह

Manipur BJP Govt Political Crisis: नॉर्थ ईस्ट स्टेट मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। लेकिन बीते कुछ दिनों से मणिपुर में भाजपा सरकार की मुश्किलों में है। मणिपुर में बीते 19 दिनों में भाजपा के 4 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है।

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Manipur BJP Govt Crisis: Four MLA Resigns in Last 19 Days, CM N Biren Singh Reaction

Manipur BJP Govt Political Crisis: मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। बीते 19 दिनों में यहां भाजपा के चार विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। सोमवार 24 अप्रैल को भाजपा विधायक ख्वाइराकपम रघुमणि (Khwairakpam Raghumani) ने मणिपुर नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (MANIREDA) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उनसे पहले 20 अप्रैल को भाजपा विधायक पाओनाम ब्रोजेन (Paonam Brojen)ने मणिपुर डेवलपमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। पाओनाम ब्रोजेन के इस्तीफे के पीछे निजी कारणों का हवाला दिया था। पाओनाम से पहले 17 अप्रैल को भाजपा विधायक करम श्याम ने पर्यटन निगम मणिपुर लिमिटेड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था। भाजपा विधायक के इस्तीफे का ये सिलसिला 8 अप्रैल से शुरू हुआ। 8 अप्रैल को भाजपा विधायक थोकचोम राधेश्याम (Thokchom Radheshyaam) ने मुख्यमंत्री के सलाहकार पद से इस्तीफा दिया था।


निजी कारणों और जनहित में भाजपा विधायक रघुमणि का इस्तीफा


आज इस्तीफा देने वाले भाजपा के चौथे विधायक ख्वाइराकपम रघुमणि ने निजी कारणों और जनहित के मामलों पर इस्तीफा देने की बात कही। रघुमणि ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को लिखे त्याग पत्र में कहा कि वह "व्यक्तिगत कारणों से और जनहित में पद छोड़ रहे हैं। उन्होंने त्याग पत्र में लिखा कि मैंने यह महसूस किया कि MANIREDA के अध्यक्ष के रूप में मेरी निरंतरता इस समय आवश्यक नहीं है"।


भाजपा विधायक पाओनाम और करम श्याम ने भी दिया इस्तीफा

इससे पहले 20 अप्रैल को भाजपा विधायक पाओनाम ब्रोजेन ने अपने पद से इस्तीफे की घोषणा ट्वीट करते हुए की थी। उन्होंने ट्वीट किया कि 'मैं निजी कारणों से मणिपुर डेवलपमेंट सोसाइटी, इंफाल के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं।' ब्रोजेन ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को लिखे पत्र में कहा, 'इसे स्वीकार किया जाए।' पाओनाम से पहले 17 अप्रैल को भाजपा विधायक करम श्याम ने पर्यटन निगम मणिपुर लिमिटेड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते हुए शिकायत की थी कि उन्हें 'कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है।'


8 अप्रैल को मुख्यमंत्री के सलाहकार ने दिया था इस्तीफा


भाजपा विधायकों के अपने पद से इस्तीफा देने के सिलसिले की शुरुआत 8 अप्रैल को थोकचोम राधेश्याम से हुई थी। थोकचोम राधेश्याम मुख्यमंत्री के सलाहकार पद पर थे। उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। एक के बाद एक चार भाजपा विधायकों के इस्तीफे से मणिपुर की सरकार पर अस्थिरता के बादल मंडरा रहे हैं। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की कुर्सी पर खतरा बताया जा रहा है।


मणिपुर के भाजपा विधायकों के इस्तीफे की वजह


मणिपुर के भाजपा विधायकों में असंतोष की एक बड़ी वजह मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह हैं। असंतुष्ट विधायक केंद्रीय नेताओं से मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को बदलने की मांग कर रहे हैं। इस मांग के तहत मणिपुर भाजपा के अंसतुष्ट विधायकों का एक खेमा दिल्ली भी आया था। हालांकि बीजेपी शीर्ष नेतृत्व की ओर से मुख्यमंत्री बीरेन सिंह या कैबिनेट में बदलाव को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इससे भाजपा के विधायकों का इस्तीफा जारी है।

बीरेन सिंह सरकार का मतभेद खुलकर आया सामने

भाजपा विधायकों के अपने पद से इस्तीफे के बीच कहा जा रहा है कि सीएम एन बीरेन सिंह की सरकार में मतभेद खुलकर सामने आ रहा है। पार्टी के एक प्रमुख नेता ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। इसमें कहा गया है कि शिकायत करना या विवाद को पार्टी के किसी उच्च अधिकारी के पास ले जाना अनुशासनहीनता के समान नहीं है।


कुकी जनजाति के विधायक भी नाराज


मणिपुर घाटी में विधायकों के बीच असंतोष काफी पहले से चल रहा है। भाजपा विधायक करम श्याम ने पर्यटन निगम मणिपुर लिमिटेड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते हुए कहा कि उन्हें अध्यक्ष के रूप में कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है। उनका यह पत्र वायरल हुआ था। यह भी कहा जा रहा है कि घाटी के विधायकों के अलावा, कुकी जनजाति के कई भाजपा विधायक भी सीएम से नाराज है। कुकी जनजाति से मणिपुर विधानसभा में दस विधायक हैं, जिनमें से सात भाजपा विधायक हैं।

मणिपुर में भाजपा का चुनावी इतिहास

60 में से 32 सीटों पर जीत हासिल कर बनी थी बीजेपी की सरकार

मणिपुर में विधानसभा का चुनाव 2022 में हुआ था। इस चुनाव में भाजपा ने बड़ा रिकॉर्ड बनाते हुए अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा पार किया था। 60 विधानसभा सीट वाले मणिपुर में भाजपा को 32 सीटों पर जीत मिली थी। मणिपुर के चुनावी इतिहास में यह दूसरा मौका था, जब किसी एक पार्टी ने अकेले दम पर बहुमत हासिल किया। इससे पहले 2012 में कांग्रेस ने 42 सीटों पर जीत हासिल की थी।

मात्र 10 साल में शून्य से बहुमत तक पहुंची पार्टी

मणिपुर में बीजेपी मात्र 10 साल में शून्य से बहुमत के आंकड़े तक पहुंची। 2012 के चुनाव में भाजपा को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी। लेकिन 2017 में कांग्रेस की 28 सीटों के मुकाबले महज 21 सीटें जीतने के बाद भाजपा ने गठबंधन के सहारे राज्य में सरकार बनाई।

फिर 5 साल शासन करने के बाद 2022 में पूर्ण बहुमत के साथ वापसी की है। लेकिन पूर्ण बहुमत की सरकार के गठन के मात्र एक साल बाद ही पार्टी के विधायकों का असंतोष सामने आ गया है।

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