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Manipur Violence: जस्टिस गीता मित्तल कमेटी ने SC को सौंपी रिपोर्ट्स, कोर्ट ने कहा- मुआवजा योजना अपडेट करें

Manipur Violence: चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने तीनों रिपोर्ट्स सभी संबंधित वकीलों को देने को कहा है।

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 Manipur Violence Justice Gita Mittal Committee submitted reports to SC


पिछले 3 महीने से हिंसा के आग में जल रहे मणिपुर पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी तीन रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी। रिपोर्ट आने के बाद कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से रिपोर्ट देखने को कहा और मामले में उनकी सहायता मांगी।

सुप्रीम कोर्ट ने बनाई थी कमेटी

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ मणिपुर हिंसा पर सुनवाई कर रही हैं। 7 अगस्त को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने मणिपुर में हिंसा प्रभावित लोगों के राहत और पुनर्वास कार्यों की निगरानी के लिए हाईकोर्ट की तीन पूर्व महिला जजों की एक कमेटी बनाई थी।

इस कमेटी को मणिपुर में हिंसा प्रभावित लोगों के लिए चलाए जा रहे राहत और पुनर्वास कार्यक्रमों की देखरेख करने और रिपोर्ट सौंपने की जिम्मेदारी दी गई थी। कमेटी का अध्यक्ष जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल को बनाया गया था। साथ ही इस कमेटी में जस्टिस (रिटायर्ड) पी जोशी और जस्टिस (रिटायर्ड) आशा मेनन को भी शामिल किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट कर रहा जांच की निगरानी

इसके अगले दिन शीर्ष अदालत ने मणिपुर में जातीय हिंसा के दौरान महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों में हो रही सीबीआई की जांच की निगरानी के लिए भी अधिकारी की नियुक्ति की थी। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी दत्ता पडसालगिकर को जांच की निगरानी का जिम्मा सौंपा था। इनमें दो कुकी महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने के वायरल वीडियो के मामले की जांच भी शामिल है। 4 मई की हुई इस भयावह घटना का वीडियो बीती 19 जुलाई को वायरल हुआ था, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया था। संसद के मानसून सत्र में भी इस वीडियो को लेकर हंगामा हुआ था।

अलग-अलग रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश

CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा था कि अदालत द्वारा अनिवार्य स्क्रूटनी 'जांच में निष्पक्षता', 'विश्वास की भावना' और 'कानून के शासन' शुरुआत करेगी। इसके साथ ही न्यायिक समिति और दत्तात्रेय पडसालगिकर, दोनों को शीर्ष अदालत के समक्ष अलग-अलग रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

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