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Maratha Reservation: मनोज जरांगे ने तोड़ा अनशन, सरकार ने मानी 6 मांगें, आज रात तक खाली होगा आजाद मैदान

Maratha reservation protest: मराठा आरक्षण समर्थक कार्यकर्ता मनोज जारंगे ने कैबिनेट उपसमिति के अध्यक्ष और जल संसाधन मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटिल के हाथों नींबू का रस पीकर अपना अनिश्चितकालीन अनशन समाप्त कर दिया।

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मराठा आरक्षण समर्थक कार्यकर्ता मनोज जारंगे (Photo-IANS)

Maratha Reservation: मुंबई के आजाद मैदान में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन मंगलवार 2 सितंबर 2025 को समाप्त हो गया। मराठा कोटा कार्यकर्ता मनोज जरांगे-पाटिल ने पांच दिन की भूख हड़ताल के बाद सरकार के आश्वासन पर अपना अनशन तोड़ दिया। महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जरांगे से मुलाकात कर उनकी मांगों पर सहमति जताई, जिसके बाद उन्होंने रात 9 बजे तक आजाद मैदान खाली करने की घोषणा की। यह घटनाक्रम बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश के बाद आया, जिसमें प्रदर्शनकारियों को दोपहर 3 बजे तक मैदान खाली करने का निर्देश दिया गया था।

सरकार का प्रस्ताव और मांगें

मराठा समुदाय के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) कोटे के तहत 10% आरक्षण की मांग को लेकर जरांगे 29 अगस्त से आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर थे। उनकी प्रमुख मांग थी कि मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठों को कुणबी के रूप में मान्यता दी जाए, क्योंकि कुणबी एक कृषक उपजाति है, जो OBC श्रेणी के तहत आरक्षण का लाभ उठाती है। जरांगे ने हैदराबाद, सतारा, औरंग और बॉम्बे गजट के आधार पर कुणबी प्रमाणपत्र जारी करने की मांग की थी। इसके अलावा, उन्होंने 2023 और 2024 के आंदोलनों के दौरान प्रदर्शनकारियों पर दर्ज मामलों को वापस लेने और मराठा युवाओं के परिवारों को मुआवजा देने की मांग भी की थी।

मंगलवार को जल संसाधन मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटिल, माणिकराव कोकाटे और शिवेंद्र राजे भोसले की अगुवाई में एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल ने जरांगे से मुलाकात की। इस दौरान उन्हें एक मसौदा सरकारी संकल्प (GR) सौंपा गया, जिसमें हैदराबाद गजट को लागू करने और मराठों को कुणबी के रूप में मान्यता देने का वादा किया गया। सरकार ने सतारा और पुणे-औंध गजट के लिए एक महीने का समय मांगा, क्योंकि इनमें कुछ कानूनी जटिलताएं हैं। इसके साथ ही, प्रदर्शनकारियों पर दर्ज मामले वापस लेने और मराठा युवाओं के परिवारों को मुआवजा देने पर भी सहमति बनी।

बॉम्बे हाईकोर्ट का कड़ा रुख

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को मराठा प्रदर्शनकारियों को आजाद मैदान खाली करने का सख्त निर्देश दिया था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति आरती साठे की पीठ ने प्रदर्शन को "पूरी तरह अवैध" करार देते हुए कहा कि 50,000 से अधिक लोगों की भीड़ ने शहर को ठप कर दिया है। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की निष्क्रियता की भी आलोचना की और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर दोपहर 3 बजे तक मैदान खाली नहीं हुआ, तो अवमानना और जुर्माने सहित कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

जरांगे की रणनीति और जीत का दावा

जरांगे ने अपने समर्थकों को शांतिपूर्ण रहने और कोर्ट के निर्देशों का पालन करने की अपील की। उन्होंने कहा, हमने कोई कानून नहीं तोड़ा। हमारी जीत हुई है और हम रात 9 बजे तक मुंबई खाली कर देंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह सरकार के प्रस्ताव को विशेषज्ञों की एक टीम से जांचने के बाद ही अंतिम फैसला लेंगे, ताकि पिछले आंदोलनों की तरह कोई धोखा न हो। जरांगे ने सरकार को दो महीने का समय दिया है, जिसमें सभी मराठों को कुणबी प्रमाणपत्र जारी करने और अन्य मांगों को पूरा करने की मांग की है।

आरक्षण से बुरी तरह प्रभावित हुआ था यातायात

इस आरक्षण ने मुंबई के दक्षिणी हिस्से विशेष रूप से आजाद मैदान, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) और मरीन ड्राइव को बुरी तरह प्रभावित किया। हजारों प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने यातायात को ठप कर दिया, जिसके चलते मुंबई पुलिस ने ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की थी। व्यापारियों ने भी इस आंदोलन से हुए नुकसान की शिकायत की थी। बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने प्रदर्शनकारियों के लिए 300 से अधिक शौचालय और 25 पानी के टैंकर की व्यवस्था की थी। इस आंदोलन ने मराठा समुदाय की एकजुटता को दर्शाया, लेकिन साथ ही राजनीतिक तनाव भी बढ़ाया।