
राहुल गांधी से मतुआ समुदाय के प्रतिनिधिमंडल ने की मुलाकात (Photo-IANS)
बिहार में वोटर अधिकार यात्रा के दौरान लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से बंगाल से आए मतुआ समुदाय के लोगों ने मुलाकात की। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने मीडिया को बताया कि मतुआ समुदाय बंगाल और केंद्र में मौजूद सरकारों से नाखुश है। उन्होंने कहा कि दोनों सरकारों ने उनके मतुआ समुदाय के मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया। अब वे कांग्रेस को समर्थन देने के बारे में सोच रहे है। उन्हें आशंका है कि SIR से उनके वोट को खतरे में डाला जा सकता है।
बता दें कि मतुआ समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल ने राहुल गांधी से सारण जिले के एकमा शहर में मुलाकात की। इस दौरान उनके पास एक बैनर था, जिसमे लिखा था- Rahul Dada Come To Bengal। SIR एक विपदा और कांग्रेस- ए निरापद जिसका अर्थ है कि एसआईआर एक खतरा है और हम कांग्रेस के साथ सुरक्षित है।
बंगाल के मतुआ समुदाय के प्रतिनिधिमंडल से राहुल गांधी की मुलाकात के बाद बीजेपी चितिंत है। दरअसल, बीजेपी कुछ सालों में मतुआ समुदाय का बीजेपी को समर्थन प्राप्त है और इसकी बदौलत ही लोकसभा चुनाव 2019 में 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी। अब कांग्रेस भी मतुआ समुदाय के वोट बैंक पर अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है, यदि कांग्रेस यह करने में सफल रहती है तो बीजेपी को नुकसान होगा।
राहुल गांधी से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व बीजेपी के कार्यकर्ता तपन हलधर ने किया। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस झूठे बहाने से प्रतिनिधिमंडल को बिहार ले गई और हलदर को कारण बताओ नोटिस भी जारी करेगी। अखिल भारतीय मतुआ महासंघ के प्रमुख शांतनु ठाकुर ने कहा कि उन्हें बताया गया कि उन्हें पटना के एक आश्रम ले जाया जा रहा है। कांग्रेस ने उनका किराया चुकाया और उन्हें पैसे देने का वादा किया। वह मतुआ समुदाय के बीच अपनी पैठ बनाने के लिए बेताब है, लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिलेगी।
मतुआ समुदाय पहले विभाजन के दौरान और फिर 1971 के युद्ध के दौरान दूसरी लहर में बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल में आकर बस गया। कांग्रेस सरकार ने 1971 के बाद उत्तर 24 परगना, नादिया और अन्य जिलों में मतुआ शरणार्थियों के पुनर्वास और पुनर्स्थापन का काम संभाला, लेकिन उन्हें अनिवार्य रूप से "गैर-मान्यता प्राप्त शरणार्थी" माना जाता रहा और नागरिकता उनकी पहुंच से बाहर रही। इसके बाद, वामपंथी शासन के दौरान, मतुआ लोगों को राशन कार्ड मिले और उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज हो गया, लेकिन नागरिकता उन्हें नहीं मिल पाई।
Published on:
03 Sept 2025 04:55 pm
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