महिलाओं, बच्चों और बूढ़ों को अधिकार पर बोलते हुए महबूबा मुफ्ती ने ऐसे समय में तालिबान से उम्मीद जताई, जब तालिबान की ओर से घोषित अंतरिम सरकार में कम से कम 14 खूंखार आतंकवादी शामिल हैं।
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महबूबा मुफ्ती ने कुलगाम में मीडिया से बातचीत में कहा ‘तालिबान एक हकीकत बनकर सामने आ रहा है। उनको चाहिए कि पहली बार (1996-2001) में जो उनकी छवि बनी, वह मानवाधिकारों के खिलाफ थी।
दुनिया के लिए मिसाल
महबूबा ने कहा कि अबकी बार यदि वह आए हैं और हुकूमत करना की चाहत रखते हैं तो अफगानिस्तान में तो उन्हें वाकई जो इस्लामिक शरिया कहता है, जो हमारे कुरान शरीफ में हैं, जिसमें औरतों के हुकूक हैं, बच्चों और बूढ़ों के अधिकार हैं और किस तरह सरकार चलानी चाहिए। जो मदीने का हमारा मॉडल रहा है। अगर वह वाकई उस पर अमल करते हैं तो मुझे लगता है वे दुनिया के लिए मिसाल बन सकते हैं।’
महबूबा के अनुसार ऐसा करने पर ही तालिबान के साथ दुनिया के दूसरे देश कारोबार करेंगे। वहीं उन्होंने 90 के दशक का जो तरीका अपनाया था, उसको अपनाते हैं तो सारी दुनिया के लिए ही नहीं, खासकर अफगानिस्तान के लोगों के लिए काफी कठिन हो जाएगा।