
जस्टिस सूर्य कांत (Photo: IANS)
देश के नए चीफ जस्टिस (CJI) सूर्यकांत ने कहा है कि सोशल मीडिया को नियंत्रित करने की कोई जरूरत नहीं है, ऐसे कठोर उपाय से स्वतंत्रता पर अंकुश लगने का खतरा होगा। एक इंटरव्यू में सीजेआई ने कहा कि सोशल मीडिया का एक उद्देश्य जागरूकता पैदा करना और लोगों को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से जोड़े रखना होना चाहिए।
हालांकि जब संदर्भ हटा दिया जाता है और लोगों को पूरी जानकारी नहीं दी जाती है तो इसका उल्टा असर होता है। यदि हम सावधान नहीं रहे तो ऐसे हालात हो सकते हैं कि जहां स्वतंत्रता व खुलेपन का मूल उद्देश्य ही विफल हो जाए।
अदालती कार्यवाही के अंश दिखाकर ट्रोलिंग पर सीजेआई ने कहा संदर्भ हटाकर एक लाइन या कुछ अंश के आधार पर ट्रोलिंग जैसी चीजों को नजरअंदाज करना चाहिए। हम अपना ध्यान अपने कर्तव्यों से हटाकर सोशल मीडिया पर कही जा रही बातों पर केंद्रित करेंगे तो न्याय को निश्चित रूप से नुकसान होगा।
सीजेआई ने अपने करीब 15 माह के कार्यकाल के एजेंडे के बारे में कहा कि वह लंबित मुकदमों पर ध्यान केंद्रित करेंगे और मौजूदा सिस्टम को सुव्यविस्थत करेंगे। साथ ही मध्यस्थता प्रणाली को मजबूत करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि मेरे लिए ऐसी व्यवस्था बनाना महत्वपूर्ण है जहां देश के प्रत्येक व्यक्ति को न्याय और उचित प्रतिनिधित्व प्राप्त हो।
जजों की नियुक्ति प्रक्रिया की कॉलेजियम प्रणाली में सुधार के बारे में सीजेआई ने कहा कि पारदर्शिता पर सुधार हुए हैं और आगे गुंजाइश हमेशा रहती है। सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्टों में जजों की नियुक्ति में उनका उम्मीदवारों की योग्यता, अनुभव, सत्यनिष्ठा और न्यायाधीश के रूप में सेवा करने के लिए आवश्यक स्वभाव पर विशेष जोर होगा।
Published on:
15 Dec 2025 06:26 am
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