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हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- नफरती भाषण बिल्कुल मंजूर नहीं, केंद्र सरकार बनाए कमेटी

Supreme Court on Hate Speech: नफरती बयानबाजी और भाषण पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की। एक पत्रकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दो-टूक कहा कि किसी भी सूरत में हेट स्पीच बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अदालत ने सरकार को कमेटी गठित करने का निर्देश दिया।

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हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- नफरती भाषण बिल्कुल मंजूर नहीं

हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- नफरती भाषण बिल्कुल मंजूर नहीं

Supreme Court on Hate Speech: हरियाणा के नूंह जिले में भड़की हिंसा के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की। नूंह हिंसा के दौरान हुई नफरती बयानबाजी पर सुप्रीम कोर्ट ने दो-टूक कहा कि किसी भी सूरत में हेट स्पीच बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार को कमेटी बनाकर नफरती बयानबाजी की जांच के निर्देश दिए। दरअसल शुक्रवार (11 अगस्त) को नफरती भाषणों के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। अदालत ने केंद्र सरकार से एक समिति गठित करने के लिए कहा। अदालत ने कहा कि हेट स्पीच को कोई भी स्वीकार नहीं कर सकता है। कोर्ट हरियाणा समेत विभिन्न राज्यों में हुई रैलियों में एक विशेष समुदाय के सदस्यों की हत्या और उनके सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार के आह्वान संबंधी कथित घोर नफरत भरे भाषणों को लेकर दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था।


डीजीपी से कमेटी गठित करने को कहा गया

कोर्ट ने समुदायों के बीच सौहार्द और भाईचारा बरकरार रखने की आवश्यकता पर बल देते हुए हरियाणा में हाल में हुए सांप्रदायिक दंगों के मद्देनजर दर्ज मामलों की जांच के लिए राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) द्वारा समिति गठित किए जाने पर भी विचार किया। पीठ ने कहा, 'हम डीजीपी से उनके द्वारा नामित तीन या चार अधिकारियों की एक समिति गठित करने के लिए कह सकते हैं, जो एसएचओ से सभी जानकारियां प्राप्त करेगी और उनकी जांच करेगी।

एक पत्रकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

अदालत ने यह भी कहा कि कमेटी की जांच में अगर जानकारी सही है तो संबंधित पुलिस अधिकारी को उचित निर्देश जारी करेगी। पीठ ने कहा कि एसएचओ और पुलिस को संवेदनशील बनाने की जरूरत पर भी बल दिया। पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की।

इस याचिका में अदालत से यह मांग की गई थी कि वह केंद्र को नफरत भरे भाषणों पर रोक लगाने का निर्देश दे, जिसमें हरियाणा सहित देश भर में आयोजित रैलियों में एक समुदाय के सदस्यों की हत्या और उनके आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार का आह्वान किया गया है।


18 अगस्त को अगली सुनवाई, सरकार देगी रिपोर्ट

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज से 18 अगस्त तक समिति के बारे में सूचित करने को कहा है। पीठ ने कहा, 'समुदायों के बीच सद्भाव और सौहार्द होना चाहिए। सभी समुदाय जिम्मेदार हैं. नफरती भाषण की समस्या अच्छी नहीं है और कोई भी इसे स्वीकार नहीं कर सकता।

याचिकाकर्ता को सबूत अधिकारियों को सौंपने का निर्देश

अदालत ने याचिकाकर्ता को वीडियो सहित सभी सामग्री एकत्र करने और उसे नोडल अधिकारियों को सौंपने का भी निर्देश दिया। अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नफरत भरे भाषणों से माहौल खराब होता है और जहां भी आवश्यक हो, पर्याप्त पुलिस बल या अर्धसैनिक बल को तैनात किया जाना चाहिए और सभी संवेदनशील क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं।

नूंह जिले में 13 अगस्त तक के लिए इंटरनेट बंद

दूसरी ओर नूंह जिले में मोबाइल इंटरनेट सुविधा 13 अगस्त तक बंद कर दी गई है। इससे पहले, नूंह हिंसा के बाद जिले में तीन बार इंटरनेट सेवा को बाधित करना पड़ा। अब चौथी बार इसे आगे बढ़ा गया है। जिले में 31 जुलाई की हिंसा के बाद इंटरनेट सेवा जिले में बंद की गई थी, जो चार अगस्त तक थी।

बाद में इसे 8 अगस्त बढ़ा दिया गया था। बाद में जिला प्रशासन की ओर से निर्णय लिया गया था कि 11 अगस्त को पूरे जिले में इंटरनेट सेवाएं बाधित रहेंगी। अब लोगों को 13 अगस्त तक के लिए इंटरनेट बैन कर दिया गया है। हालांकि प्रशासन का दावा है कि अब जिले में स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है।

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