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ओडिशा ने स्कूलों में पत्रकारों की एंट्री पर लगाया बैन, केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा – ‘पत्रकारों के स्कूलों में जाने पर रोक लगाना गलत’

ओडिशा सरकार ने पत्रकारों के स्कूल जाने पर रोक लगा दी है। पत्रकारों के एंट्री पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को लेकर सियासी विवाद शुरू हो गया है। फैसले को लेकर राज्य सरकार पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने निशाना साधा है।

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Odisha Bans Entry of Journalists to Schools, Education Minister Pradhan Says 'Inappropriate'

Odisha Bans Entry of Journalists to Schools, Education Minister Pradhan Says 'Inappropriate'

ओडिशा के स्कूलों में अब पत्रकार नहीं जा पाएंगे। ओडिशा सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए पत्रकारों के स्कूल जाने पर रोक लगा दी है। पत्रकारों के एंट्री पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को लेकर सियासी विवाद शुरू हो गया है। फैसले को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि प्रेस लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और इसे किसी 'पब्लिक प्लेस' में प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता। वहीं कईं सियासी पार्टियां ओडिशा सरकार के इस फैसले पर कड़ी नाराजगी जाहिर कर रही हैं।

दरअसल, बीजू जनता दल (BJD) सरकार ने कुछ समाचार चैनलों द्वारा ओडिशा के कुछ के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के गणित में कमजोर होने संबंधी खबरें प्रसारित किए जाने के बाद यह कदम उठाया है। जानकारी के मुताबिक कुछ दिन पहले ओडिशा के कुछ स्कूलों के बच्चों के वीडियो समाचार चैनलों पर प्रसारित किए गए थे। वीडियो में बच्चे गणित विषय से जुड़े आसान सवालों के जवाब भी नहीं दे पा रहे थे। जैसे ही वीडियो सामने आया तो सियासत गर्मा गई। ओडिशा सरकार पर सवाल उठने लगे।

वहीं, इस मामले के बाद ढेंकनाल के जिला शिक्षा अधिकारी ने सभी स्कूलों को आदेश जारी किया है कि बिना परमिशन किसी भी पत्रकार को स्कूल में न आने दिया जाए। आदेश के मुताबिक अगर कोई पत्रकार बिना परमिशन के आता है तो तुरंत पुलिस को सूचित किया जाए। वहीं केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ओडिशा सरकार के इस फैसले की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है और पत्रकारों को किसी भी सार्वजनिक संस्था में जाने से रोका नहीं जा सकता।

शिक्षा मंत्री ने आगे कहा, "स्कूल परिसर में पत्रकारों के प्रवेश पर पाबंदी लगाना अनुचित है। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में स्कूल एक सार्वजनिक प्रतिष्ठान (पब्लिक प्लेस) है।" धर्मेंद्र प्रधान ने यह भी कहा कि मीडिया को बच्चों की पढ़ाई में खलल नहीं डालनी चाहिए लेकिन इस तरह से मीडिया और पत्रकारों के स्कूलों में जाने पर रोक लगाना गलत है। स्कूल एक सार्वजनिक संस्था है वहां पत्रकार खबर की जानकारी लेने जा सकते हैं।

इस मामले में भाजपा की सांसद अपराजिता सारंगी ने कहा कि वह इस दिशा-निर्देश को लेकर हैरान हैं। उन्होंने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है और संबंधित फैसले को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।" उन्होंने आगे कहा, "यह कदम बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि जब भी स्कूलों में कुछ अनियमितताएं होती हैं, तो इन्हें दिखाना पत्रकारों का कर्तव्य है। पत्रकारों के उनका कर्तव्य निभाने पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित होगी।"

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इस बीच ओडिशा के स्कूल एवं जन शिक्षा मंत्री एसआर दाश ने राज्य सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि प्रेस के पास गलत को उजागर करने का अधिकार है, लेकिन कुछ वेब पोर्टल के पत्रकार बिना अनुमति के स्कूल परिसर में दाखिल हो रहे थे और वहां का माहौल बिगाड़ रहे थे। दूसरी तरफ राज्य के विभिन्न पत्रकार संघों ने भी स्कूलों में प्रवेश पर प्रतिबंध संबंधी सरकार के फैसले का विरोध किया है। उन्होंने इस आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग भी की है।

वहीं खबर मिली है कि ढेंकनाल के कलेक्टर ने निर्देशों में ढील देने की बात कही है। ढेंकनाल कलेक्टर सरोज कुमार सेठी ने कहा कि पत्रकारों के स्कूल परिसर में प्रवेश पर पूरी तरह से रोक नहीं है। उन्होंने मीडियाकर्मियों के लिए कुछ शर्तें रखी हैं। अब सरकार ने ये फैसला लिया है कि पत्रकार कुछ क्षेत्रों में स्कूलों में नहीं जा पाऐंगे।

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