दरअसल, पटना में आजादी का अमृत महोत्सव और बिहार विधानसभा भवन का शताब्दी वर्ष समापन समारोह मनाया जा रहा है। विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के नेतृत्व में इस कार्यक्रम का आयोजन होगा। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रण दिया गया है। साथ ही बिहार विधानसभा के पूर्व और वर्तमान सदस्यों को आमंत्रण भेजा गया। वहीं ये आमंत्रण बिहार विधान सभा के सदस्य रहे अब्दुल हई पायामी को भी भेज दिया गया। जबकि अब्दुल हई पायामी का निधन चार साल पहले ही चुका है।
पूर्व विधायक अब्दुल पयामी के परिजनों को जब उनके नाम का निमंत्रण पत्र मिला तो वो चौंक गए। बता दें, अब्दुल हई पायामी मधुबनी जिले के लौकहा विधानसभा से कांग्रेस के सिम्बल पर चुनाव जीत कर 1985 में विधानसभा पहुंचे थे, वह मधुबनी जिला के नरहिया के निवासी थे। उन्होंने 4 साल पहले ही दुनिया को अलविदा कह दिया है, मगर विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिंहा ने उनके नाम से आमंत्रण कार्ड भेज दिया।
जाहिर-सी बात है इस कार्यक्रम का नेतृत्वकर्ता बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा है, तो निमंत्रण भेजने की जिम्मेदारी भी विधानसभा के अधिकारियों की होगी। वहीं विधानसभा के अधिकारियों के पास जो डेटा उपलब्ध है, वह काफी पुराना है। शायद इसी वजह से अधिकारियों से ये गलती हो गई और अब्दुल पायामी को भी निमंत्रण भेज दिया गया। वहीं, विधानसभा सचिवालय के एक सूत्र के मुताबिक उन्होंने स्वीकार किया कि मृत व्यक्ति क आमंत्रितों की सूची में शामिल करना एक बड़ी और गंभीर चूक है। उन्होंने बतया कि मेहमानों की लिस्ट को स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) ने भी पास किया था।
इस निमंत्रण को लेकर कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष प्रो. शीतलांबर झा ने बताया, "जैसे ही पार्टी कार्यालय में उनके नाम का आमंत्रण पत्र प्राप्त हुआ तो मुझे भी खुद हैरत हो रही है कि पयामी साहब का चार वर्ष पूर्व ही दुनिया से अलविदा हो चुके है। परंतु विधानसभा के अध्यक्ष द्वारा भेजा गया आमंत्रण पत्र देखकर मुझे भी काफी हैरान हुं, यह कैसे हुआ कि एक मृत पूर्व विधायक को आमंत्रण पत्र भेजा गया है।" वहीं मधुबनी जिले में यह निमंत्रण पत्र का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।
बता दें, बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी वर्ष समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आना ऐतिहासिक है। पीएम मोदी बिहार विधान परिसर में आने वाले पहले प्रधानमंत्री होंगे। आजादी के बाद आज तक कोई भी प्रधानमंत्री बिहार विधानसभा परिसर में नहीं आया है। वहीं देश की आजादी के 75 वर्ष के बाद किसी प्रधानमंत्री को पहली बार बिहार विधानसभा परिसर में बिहार विधानमंडल सदस्यों को संबोधित करने का अवसर मिल रहा है।