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पूर्व माओवादी की नई शुरुआत: अब ओडिशा ब्लड बैंक में सुरक्षा गार्ड, आत्मसमर्पण की प्रेरणादायक कहानी

5 लाख रुपये के पूर्व इनामी माओवादी धनंजय गोप, जो कभी ओडिशा के जंगलों में बंदूक थामें दहशत फैलाने के लिए मशहूर था। अब लोगों की जान बचाने वाले ब्लड बैंक में सुरक्षा गार्ड का काम करता है।

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Dhananjoy Gope

पूर्व माओवादी धनंजय गोप (उर्फ सुधीर) (फोटो -सोशल मीडिया)

Maoist Turned Security Guard: किसी समय ओडिशा पुलिस की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल रहे धनंजय गोप (उर्फ सुधीर) ने अब अपनी जिंदगी की दिशा बदल दी है। एक समय 5 लाख रुपये का इनामी माओवादी रहने वाले धनंजय ने फरवरी 2019 में कोरापुट पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था, और अब वह समाज सेवा में जुटा है।

15 साल तक हत्या सहित कई घटनाओं को दिया अंजाम

धनंजय ने लगभग 14-15 साल तक माओवादी संगठन में सक्रिय भूमिका निभाई। वह गुम्मा क्षेत्र समिति का डिवीजनल कमेटी मेंबर (DCM) और 2009 में कालीमेला क्षेत्र का सक्रिय सदस्य था। हत्या और आगजनी जैसी कई घटनाओं में संलिप्त रहने के बाद, उसने डीआईजी हिमांशु लाल के सामने हथियार डाल दिए। अब धनंजय मलकानगिरी ब्लड बैंक में सुरक्षा गार्ड के रूप में कार्यरत हैं। वे उसी समुदाय की रक्षा कर रहे हैं, जिसका कभी विरोध करते थे।

अस्पताल में है सुरक्षा गार्ड

धनंजय की यह कहानी बताती है कि आत्मसमर्पण करने के बाद भी एक सम्मानजनक जीवन संभव है। उसका यह सफर बालीमेला के ही एक अन्य पूर्व माओवादी रामा मदकामी (उर्फ दिनेश) से मिलता-जुलता है, जिसने 2015 में आत्मसमर्पण किया और अब मलकानगिरी अस्पताल में सुरक्षा गार्ड के रूप में तैनात है। दिनेश मलकानगिरी कोरापुट बॉर्डर डिवीजन (एमकेबीडी) का एक सक्रिय सदस्य था।

अब शांति और आत्मसम्मान की जिंदगी

दोनों अब समाज के लिए प्रेरणा बन चुके हैं। उन्होंने न सिर्फ हिंसा का रास्ता छोड़ा बल्कि अपने जीवन को समाज सेवा में बदल दिया। दोनों का कहना है कि उन्हें अब शांति और आत्मसम्मान की जिंदगी मिल रही है और वे बाकी सक्रिय कैडरों से भी आत्मसमर्पण की अपील करते हैं।