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गुरुप्रिया सेतु को बनने में लगे 30 साल, जानें इन दो राज्यों के लिए क्यों है खास

गुरुप्रिया सेतु की परिकल्पना 1980 के दशक में की गई थी, लेकिन माओवादी गतिविधियां, दुर्गम भौगोलिक स्थिति और तकनीकी चुनौतियां इस परियोजना में लगातार बाधा बनती रहीं।

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Gurupriya bridge

निर्माण के दौरान गुरुप्रिया सेतु। (Source: Twitter/Naveen Patnaik)

ओडिशा के मलकानगिरी में सबसे दुर्गम और नक्सल प्रभावित इलाके में गुरुप्रिया सेतु (Gurupriya Bridge) को बनने में 30 साल का समय लग गया। यह पुल इसलिए खास है क्योंकि इससे छत्तीसगढ़ के साथ ही ओडिशा को भी बेहतर कनेक्टिविटी मिली है। दशकों तक जल, जंगल और नक्सल हिंसा के बीच फंसे ‘स्वाभिमान अंचल’ के गांवों को आखिरकार मुख्यधारा से जोडऩे वाला यह सेतु आज विकास, सुरक्षा और उम्मीद का मजबूत प्रतीक बन चुका है।

प्राकृतिक सौंदर्य से सराबोर यह स्थल पर्यटकों के लिए पर्यटन का मन पसंद जगह बनता जा रहा हैं। इस जलाशय का शैर करने के लिए छत्तीसगढ़ के अलावा आंध्र तेलंगाना से भी लोग यहां पहुंचते हैं। इस जलाशय में अनगिनत टापू पर्यटकों को आकर्षित करता हैं।

गुरुप्रिया सेतु की परिकल्पना 1980 के दशक में की गई थी, लेकिन माओवादी गतिविधियां, दुर्गम भौगोलिक स्थिति और तकनीकी चुनौतियां इस परियोजना में लगातार बाधा बनती रहीं। करीब तीन दशक के लंबे इंतज़ार के बाद 26 जुलाई 2018 को ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इसका उद्घाटन किया था।

आंकड़ों में गुरुप्रिया सेतु

लंबाई: 910 मीटर
लागत: लगभग 187 करोड़
स्थान: बालीमेला जलाशय पर जंबाई नदी