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बिहार में होने वाला है खेला, तेजस्वी और नीतीश टेंशन में

Bihar Politics: बिहार इस वक्त समूचे देश की सियासी हलचल का मुख्य केंद्र बना हुआ है। इसकी एक बड़ी वजह है नीतीश कुमार की विपक्षी एकता की मुहिम। लेकिन दूसरी ओर BJP बिहार में ही दूसरा बड़ा 'खेला' करने की तैयारी कर रही है।

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बिहार में होने वाला है खेला, तेजस्वी और नीतीश टेंशन में

Bihar Politics: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस प्रयास में लगे हुए हैं कि 2024 लोकसभा चुनाव 2024 के पहले बीजेपी के खिलाफ एक बड़ा मोर्चा बनाया जाए। इसे लेकर वे लगातार देश का दौरा कर नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं और 12 जून को पटना में विपक्षी एकता को लेकर एक बड़ी बैठक का आयोजन भी होने वाला है, जिस पर देशभर की निगाहें टिकी हुई हैं। एक तरफ नीतीश कुमार बीजेपी के खिलाफ मोर्चे की तैयारी कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी महागठबंधन में सेंध लगाने की तैयारी में है। इसकी भनक लगनी शुरू हो चुकी है क्यूंकि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के सुप्रीमो जीतन राम मांझी के तेवर को लेकर सियासी गलियारे में चर्चा गर्म है कि उनका अगला कदम ऐसा होगा जो नीतीश सहित पूरे महागठबंधन को चौंका देगा।


पुराने खिलाड़ी एक होने की राह पर

जीतन राम मांझी के तेवर और उपेन्द्र कुशवाहा के बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलना, बिहार की सियासत के लिए बड़ा संकेत भी देने लगा है कि 2024 से पहले सभी पुराने साथी जो कुछ समय के लिए बिछड़ गये थे एक हो सकते हैं। राजनीति के जानकार बताते हैं कि बीजेपी की पूरी कोशिश है कि 2015 में एनडीए का पुराना समीकरण बने और उसका स्वरूप सामने आए।

बता दें कि जदयू से अलग होने के बाद उपेन्द्र कुशवाहा ने बीजेपी के प्रति अपनी नजदीकियां जाहिर की थी। उसके बाद दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और अब शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की है। इस मीटिंग को सियासी गठबंधन के नजरिये से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कयास लगाए जा रहे हैं कि बहुत जल्द उपेन्द्र कुशवाहा एनडीए के साथ आ सकते हैं।

कुशवाहा-नड्डा के बीच क्या डील हुई?

एक समय नीतीश के दाहिना हाथ कहे जाने वाले उपेंद्र कुशवाहा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से जेपी नड्डा के साथ मुलाकात की तस्वीरें भी सामने आईं। जब उनसे इस मुलाकात को लेकर प्रश्न किया गया तो उन्होंने कहा, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मेरी पुरानी जान-पहचान है। हमारा पारिवारिक नाता है, इसी वास्ते मिले हैं। हमलोग मंत्रिमंडल में भी साथ-साथ थे।

कुशवाहा ने आगे कहा- मुलाकात काफी संतोषजनक रही है और मैंने तो पहले भी अपनी राय रखी है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 2024 में कोई चुनौती नहीं दे सकता है। लेकिन जब कुशवाहा से ये पूछा गया कि क्या आप एनडीए के साथ आ सकते हैं, इसपर उन्होंने कहा थोड़ा इंतजार कर लीजिए। ऐसा लगता है की बहुत जल्द पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी, क्यूंकि कुशवाहा को भी पता है बिना किसी के हाथ पकड़े उनका बेरापार नहीं हो सकता।


जीतन राम मांझी,चिराग, मुकेश भी हैं लाइन में

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी और उनके बेटे संतोष सुमन ने भी अपने बयान से नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ा रखीं हैं। अब ये साफ- साफ संकेत मिलने लगे हैं कि मांझी और उनकी पार्टी महागठबंधन में खुश नहीं है। मांझी ने कई मौकों पर अपनी नाराजगी भी खुलेआम जाहिर की है और अपने बेटे को तेजश्वी से अधिक योग्य बता कर बगावती तेवर दिखाया है।

दूसरी तरफ चिराग पासवान ने बीजेपी से अपनी नजदीकियों को जाहिर कर पहले ही एनडीए का हिस्सा होने का संकेत दे दिया है। उपेन्द्र कुशवाहा भी बीजेपी से करीब होने का संकेत लगातार दे रहे हैं। इधर विकासशील इंसान पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी को वाई श्रेणी की सिक्योरिटी मिलना और मुकेश सहनी का बीजेपी को लेकर सकारात्मक रुख दिखाना भी एनडीए के स्वरूप के लिए बड़ा इशारा है। यानी पिच तैयार हो चुकी है, इंतज़ार है तो बस उचित वक्त का फिर सबकुछ आईने की तरह साफ़ हो जायेगा।

सम्राट चौधरी ने भी दिए संकेत

इस हलचल को लेकर इशारे दोनों तरफ से मिल रहे हैं। बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी से जब इसपर सवाल किया गया तो उनका ये कहना था कि- मुझे फिलहाल इस सवाल पर कुछ नहीं कहना है। सबकुछ आलाकमान तय करेगा। लेकिन जीतन मांझी एक बड़े नेता हैं और बिहार की राजनीति में उनका बड़ा सम्मान है।

राजनीति में कल क्या हो जाए कौन जानता है। कुशवाहा जी और चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री को लेकर जो राय रखी है वो तो सबको पता चल ही गया है। आने वाले दिनों में नीतीश और उनकी मुहिम दोनों का हाल बुरा होने वाला है। समय आने दीजिये सब तस्वीर आपको साफ-साफ दिखने लगेगी।

इसी को लेकर बिहार के सीएम और डिप्टी सीएम चिंता में आ गये हैं, क्यूंकि इन्होने देश की सत्ता से तो बीजेपी को भगाने का प्लान तो बना लिया, खूब दौड़-भाग कर लिया, लेकिन बिहार में हीं इनके साथ कहीं खेला न हो जाए, और अगर ऐसा हुआ तो नीतीश किस मुहं से विपक्षी नेताओं को एकजुट करने जाएंगे।

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