पीएम मोदी ने कहा कि जीवन के संघर्षों से तपे हुए व्यक्ति के सामने कोई भी बाधा नहीं टिक पाती है। हम अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी में कुछ ऐसे साथियों को भी देखते हैं, जो किसी ना किसी शारीरिक चुनौती से मुकाबला कर रहे होते हैं। बहुत लोग सुन नहीं पाते या बोल कर अपनी बात नहीं रख पाते हैं। ऐसे साथियों के लिए सबसे बड़ा सहारा साइन लैंग्वेज होता है, जिसे दो दिन पहले 23 सितंबर को Sign Language Day के मौके पर कई स्कूलों के कोर्स में जोड़ा गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं कुछ दिन पहले सूरत की एक बिटिया अन्वी से मिला । अन्वी और अन्वी के योग से मेरी वह मुलाकात इतनी यादगार रही है कि उसके बारे में ‘मन की बात’ के सभी श्रोताओं को बताना चाहता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अन्वी जन्म से ही Down Syndrome से पीड़ित हैं, जो बचपन से ही हार्ट के गंभीर बिमारी से भी जूझ रही है। जब वह केवल तीन महीने की थी, तभी उसे ओपन हार्ट सर्जरी करानी पड़ी। इन सब मुश्किलों के बाद भी न ही अन्वी ने और न ही अन्वी के माता पिता ने हार नहीं मानी। अन्वी के माता पिता ने इस बिमारी के बारे में जानकारी जुटाई और दूसरों पर निर्भरता कम करने के लिए अन्वी को छोटे-छोटे काम सिखाए। अन्वी ने भी बड़े ही धैर्य से पानी का गिलास उठाने, जूते के फीते कैसे बांधने, कपड़ों के बटन लगाने सहित अन्य कामों को सीखा।
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘कबाड़ से जुगाड़’ अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि यह अभियान पर्यावरण की सुरक्षा के साथ-साथ शहर के सौंदर्यीकरण से भी जुड़ा है। इस मुहिम की खास बात यह भी है कि इसमें लोहे का रद्दी माल, प्लास्टिक, पुराने टायर और ड्रम जैसी बेकार हो चुकी चीजों का यूज किया जाता है। कम खर्चे के जरिए सार्वजनिक स्थानों का सौंदर्यीकरण कैसे होता है,यह अभियान इसकी भी एक मिसाल है। पीएम मोदी ने इस अभियान से जुडे़ सभी लोगों की सराहना की।