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संसद पर आतंकी हमले को 24 साल पूरे: पीएम मोदी, राहुल गांधी समेत कई सांसदों ने किया शहीदों को नमन

24 Years Of Parliament Attack: संसद पर आतंकी हमले को आज 24 साल पूरे हो गए हैं। इस अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी समेत कई सांसदों ने आतंकी हमले में शहीद हुए सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

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भारत

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Tanay Mishra

Dec 13, 2025

PM Narendra Modi, Rahul Gandhi pay tribute to martyrs of Parliament attack

PM Narendra Modi, Rahul Gandhi pay tribute to martyrs of Parliament attack (Photo - ANI)

13 दिसंबर 2001 के दिन ही संसद पर आतंकी हमला (Parliament Attack) हुआ था। इस आतंकी हमले को आज 24 साल पूरे हो गए हैं। इस हमले में 8 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे, जिनमें दिल्ली पुलिस के 6 पुलिसकर्मी और संसद के 2 सुरक्षाकर्मी शामिल थे। इसके अलावा संसद में काम करने वाला एक माली भी इस आतंकी हमले में मारा गया था। संसद आतंकी हमले की 24वीं बरसी के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi), उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन (Vice President CP Radhakrishnan), लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi), कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi), संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) और अन्य सांसदों ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

कौन था आतंकी हमले का मास्टरमाइंड?

संसद पर हुए आतंकी हमले का मास्टरमाइंड मसूद अज़हर (Masood Azhar) था, जो आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) का सरगना है। जैश के 5 आतंकियों ने इस हमले को अंजाम दिया था, जिन्हें सुरक्षाबलों ने मार गिराया था। आतंकियों की पहचान हमजा, हैदर उर्फ ​​तुफैल, राणा, रजा और मोहम्मद के रूप में हुई थी। इस आतंकी हमले में 18 लोग घायल भी हुए थे।

भारत-पाकिस्तान में हुआ था सैन्य गतिरोध

संसद पर हुए इस आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था। इस वजह से 2001-2002 में भारत-पाकिस्तान (India-Pakistan) के बीच कश्मीर क्षेत्र में बॉर्डर के दोनों ओर और एलओसी पर सैन्य गतिरोध हुआ था , जो 13 दिसंबर 2001 से 10 जून 2002 तक चला था। भारत ने अपनी सैन्य कार्रवाई को 'ऑपरेशन पराक्रम' (Operation Parakram) नाम दिया था। इस गतिरोध को अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते रोका गया। भारत के सैकड़ों सैनिक इस सैन्य गतिरोध में शहीद हुए थे, लेकिन पाकिस्तानी सेना को भारतीय सेना की तुलना में ज़्यादा नुकसान झेलना पड़ा था।