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Internet Shutdown In Rajasthan : नेटबंदी के तुगलकी फरमान से सब कुछ चौपट, आम जनता प्रभावित

Internet Shutdown In Rajasthan : 'हवा-पानी' की तरह जीवन का अहम हिस्सा बन चुका इंटरनेट।- पुलिस-प्रशासन ने अपनी नाकामी छिपाने के लिए हर परीक्षा के बेहतर संचालन का तोड़ ढूंढ लिया नेटबंदी।- नेटबंदी का वित्तीय, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन जैसी आम जनजीवन से जुड़ी सुविधाओं पर भी पड़ता है बुरा असर ।- खुद के और न्यायालय के आदेशों का सरकार उड़ा रही मखौल, हर बार जनता के हिस्से में आती परेशानी ।

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Internet Shutdown In Rajasthan : नेटबंदी के तुगलकी फरमान से सब कुछ चौपट, आम जनता प्रभावित

Internet Shutdown In Rajasthan : नेटबंदी के तुगलकी फरमान से सब कुछ चौपट, आम जनता प्रभावित

जयपुर। पहले रीट, फिर पटवार परीक्षा और अब आरएएस-प्री कानून व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर प्रदेश के कई जिलों में त्योहार के महत्वपूर्ण समय में औचक नेटबंदी कर दी गई। पेपर आउट और नकल रोकने के लिए पुलिस-प्रशासन नेटबंदी का विकल्प इस्तेमाल कर रहे हैं, बावजूद इसके नकल और पेपर आउट की घटनाएं रुक नहीं रही। 'हवा-पानी' की तरह जनजीवन की जरूरत बन चुके इंटरनेट के बंद होने से करोड़ों लोग बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। नेटबंदी से अब तक करीब 800 करोड़ का व्यापार प्रभावित हुआ है। शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन जैसी सुविधाओं और ऑनलाइन सुविधाओं से लोगों को वंचित रहना पड़ रहा है।

नहीं हो पाई वर्चुअल मीटिंग-
नेटबंदी से वर्चुअल मीटिंग भी प्रभावित हुई हैं। नियमित रूप से होने वाली मीटिंगों मे व्यवधान पड़ा। कोरोनाकाल के बाद वर्क फ्रॉम होम का चलन बढऩे के साथ सुबह की मीटिंग भी वर्चुअल नहीं हो पाती हैं। राजधानी में सैकड़ों सरकारी और निजी दफ्तरों का कामकाज भी प्रभावित हुआ।

मरीजों के लिए मुसीबत, नहीं ले पाए अपॉइंटमेंट-
नेटबंदी का बड़ा असर अस्पतालों में उपचार सुविधाओं पर भी पड़ रहा है। अधिकांश सरकारी और निजी अस्पतालों में कई तरह की इलाज प्रक्रियाएं हैं, जिनका नेटबंदी के कारण मरीज लाभ नहीं उठा सके और उन्हें ऑफलाइन जाकर ही प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा। प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस कॉलेज से संबद्ध एसएमएस सहित अन्य सभी अस्पतालों में ऑनलाइन रिपोर्ट प्राप्त करने, डॉक्टर का अपाइंटमेंट लेने कंप्यूटर पर पर्चियां बनवाने पर नेटबंदी का असर रहा। कोविड टीकाकरण पर भी इसका असर पड़ा। टीकाकरण के लिए पहुंचे लोगों को कुछ जगह से निराश लौटना पड़ा। हालांकि वाई-फाई इंटरनेट की सुविधा मौजूद थी। जहां यह सुविधा नहीं थी, वहां ये प्रक्रियाएं बाधित हुई।

कई योजनाओं में ऑनलाइन कामकाज: राज्य सरकार की नि:शुल्क उपचार योजनाओं में भी कामकाज ऑनलाइन ही होता है। इनकी एंट्री करवाने सहित डिस्चार्ज के समय भी ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी करनी होती है, लेकिन नेटबंदी से इन सभी को भारी परेशानी हो रही है।

परेशान हर वर्ग, बोले... सरकार को नकल रोकने के लिए तलाशना चाहिए दूसरा रास्ता -
मानते नहीं नेट बंद है - मैं मुबंई की कंपनी से आर्टिकलशिप कर रहा हूं। कंपनी से ऑनलाइन वर्क आता है। ऑफिस में जब कहा कि परीक्षा की वजह से नेट बंद है तो कोई मानता हीं नहीं है।
मोहित धमोढ़, सीए छात्र, मुरलीपुरा

पूरा दिन खराब - आज सबकुछ मोबाइल और इंटरनेट में सिमट आया है। मेरा ऑनलाइन बिजनेस है अब आप समझ सकते हैं इस त्योहारी सीजन में पूरे दिन नेट बंद है ऐसे में कितना नुकसान हो गया है।
रिद्धि खंडेलवाल, व्यवसायी

सारे दिन से खाली बैठे - डिजिटल पैमेंट का जमाना है। नेटबैंकिंग बेहतर विकल्प हैँ लेकिन नेट बंद होने से सब कुछ बंद हो गया। नकल रोकने के लिए कोई दूसरा वैकल्पिक रास्ता तलाशा जाना चाहिए।
-अश्विनी तिवाड़ी, व्यापारी

जिम्मेदारी से बच रहे - सरकार नकल रोकने में कामयाब नहीं हो रही। नेट बंद करके हमें भी परेशान कर रही है। बाजार जाना था, कैब बुकिंग नहीं हो पायी। दो घंटे तक ऑटो के लिए परेशान रहा।
-अविनाश, युवा

नेटबंदी ठीक नहीं - मैं मॉडल हूं। मुझे शूट पर जाना था। कैब बुकिंग करने पर पता चला इंटरनेट बंद है। मुझे काफी दिक्कत हुई। रोजाना इसे बंद करना ठीक नहीं है। इससे कामकाज प्रभावित होता है।
- पहल शर्मा, मॉडल

बढ़ जाती दिक्कत - गांव से मरीज को यहां दिखाने लाए थे। पहले जो जंाचें करवाई थीं, उनको लैब पर ही भूल आए। इंटरनेट बंद है, वाट्सऐप पर नहीं मंगवा पाए। अब जयपुर आकर दोबारा करवानी पड़ीं।
-जितेंद्र