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Punjab Cabinet: राइट टु बिजनेस एक्ट में संशोधन, लिमिट हुई 25 से 125 करोड़; 5 दिन में मंजूर होंगे प्रोजेक्ट्स

पंजाब सरकार की बुधवार को हुई बैठक में राइट टु बिजनेस एक्ट में संशोधन को मंजूरी मिल गई। पहले 25 करोड़ रुपये तक के निवेश वाली इकाइयों को लाभ मिलता था, जिसे बढ़ाकर 125 करोड़ रुपये कर दिया है।

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पंजाब कैबिनेट ने Right To Business Act में संशोधन को मंजूरी दी (Photo-IANS)

Punjab Cabinet: मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में बुधवार को पंजाब मंत्रिमंडल की बैठक हुई। कैबिनेट की बैठक में राइट टु बिजनेस एक्ट (Right To Business Act) में संशोधनों को मंजूरी दे दी। इस बदलाव के बाद अब पहले की तुलना में दो से तीन गुना अधिक उद्योग इस अधिनियम के दायरे में आएंगे और उन्हें निर्धारित समय सीमा में मंजूरी प्राप्त होगी। कैबिनेट मंत्री संजीव अरोड़ा ने कहा कि कैबिनेट ने उद्योग जगत को बढ़ावा देने के लिए यह फैसला लिया है।

लाभ मिलने की सीमा की 125 करोड़

बुधवार को हुई बैठक के बाद मंत्री संजीव अरोड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पहले उन इकाइयों को राइट टु बिजनेस एक्ट के तहत लाभ मिलता था जिनका निवेश 25 करोड़ रुपये था, लेकिन अब इसे 125 करोड़ रुपये कर दिया है, जिससे अधिक संख्या में इकाइयां बिना देरी के अपनी औद्योगिक गतिविधियां चालू कर पाएंगी।

5 दिन में मिल जाएगा अप्रूवल

कैबिनेट मंत्री संजीव अरोड़ा ने बताया कि राइट टु बिजनेस एक्ट में पहले इंडस्ट्रियल पार्क को 5 दिन में अप्रूवल मिल जाता था, लेकिन अब बाकी रियल स्टेट प्रोजेक्ट को भी 5 दिन में अप्रूवल मिल जाएगा। वहीं औद्योगिक पार्कों और रियल एस्टेट परियोजनाओं के अलावा अन्य स्वीकृतियां भी 15 दिनों में दी जाएगी। वहीं प्रोजेक्ट के विस्तार के लिए 18 दिनों के भीतर मंजूरी दी जाएगी।

ग्रीन और ऑरेंज श्रेणी के उद्योगों को मिलेगा फायदा

इस कानून का लाभ ग्रीन और ऑरेंज श्रेणी के उद्योगों को मिलेगा। कैबिनेट मंत्री संजीव अरोड़ा ने बताया कि संशोधित अधिनियम में 5 नई मंजूरियां शामिल की गई है, जिसमें श्रम विभाग से अनुमति, प्रदूषण विभाग से स्थापना की सहमति, संचालन की सहमति, श्रम विभाग से अनुमति और वन विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र शामिल हैं। 

चावल मिलों के लिए OTS नीति लागू करने की दी मंजूरी

मंत्रिमंडल ने चावल मिलों के लिए एकमुश्त निपटान (ओटीएस) नीति, 2025 लागू करने को भी मंजूरी दी है। इसके तहत प्रत्येक मिल मालिक को मिलिंग अवधि समाप्त होने के बाद प्रत्येक राज्य खरीद एजेंसी के साथ अपने खातों का निपटान करना होगा ताकि अगले वर्ष कस्टम मिलिंग के लिए धान के आवंटन पर विचार किया जा सके।