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Punjab Politics: पंजाब में अखबारों की सप्लाई को पुलिस ने क्यों रोका? खड़ा हुआ राजनीतिक विवाद

पंजाब में पुलिस द्वारा अखबारों के वाहनों की चेकिंग मामले में राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। इसको लेकर विपक्ष ने AAP पर निशाना साधा है।

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पुलिस ने अखबारों के वाहनोंं की चेकिंग (Photo-X @SwatiJaiHind)

पंजाब में पुलिस द्वारा अखबार की गाड़ियों की चेकिंग करने पर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। विपक्ष ने आम आमदी पार्टी की सरकार की आलोचना की है। दरअसल, यह चेकिंग देर रात से शुरू हुई और सुबह तक चली थी। इसके अखबार डिलीवरी में भी देरी हुई, जिससे रीडरों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। हालांकि बाद में पुलिस ने इसको लेकर स्पष्टीकरण भी जारी किया।

अधिकारियों की निगरानी में की जांच-पुलिस

पुलिस ने कहा कि उसने विशिष्ट खुफिया सूचनाओं के आधार पर विभिन्न वस्तुओं से लदे वाहनों की जांच की। वाहनों की जाँच राजपत्रित अधिकारियों की निगरानी में चुनिंदा स्थानों पर सुव्यवस्थित और व्यवस्थित तरीके से की गई, जिससे जनता को कोई असुविधा न हो।

विपक्ष ने AAP पर साधा निशाना 

पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार पर विपक्ष ने निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कदम मीडिया पर आप के हमले का एक हिस्सा है। शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि सरकार ने समाचार पत्र ले जाने वाले वाहनों को इसलिए निशाना बनाया क्योंकि वे नहीं चाहते कि कोई उनके खिलाफ लिखे।

पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा- पंजाब भर में समाचार पत्र वितरण वाहनों पर छापे प्रेस की स्वतंत्रता और सार्वजनिक सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाते हैं।

वहीं विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने आरोप लगाया, ‘‘पंजाब भर में समाचार पत्र वितरण वैन पर छापे प्रेस की स्वतंत्रता पर एक भयावह हमला है।’’

BJP ने बताया अघोषित अपातकाल

बीजेपी ने इसको अघोषित अपातकाल बताया है। बीजेपी नेता अश्विनी शर्मा ने इसे पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा अघोषित आपातकाल करार देते हुए दावा किया कि शीश महल 2.0 की खबर से घबराकर आप सरकार ने मीडिया पर हमला किया है।

प्रेस क्लब ने की निंदा

अखबारों की गाड़ियों की चेकिंग को लेकर प्रेस क्लब चंडीगढ़ ने भी बयान जारी किया है। प्रेस क्लब ने कहा- वह पंजाब के विभिन्न जिलों में समाचार पत्र ले जा रहे वाहनों को रोकने की पुलिस कार्रवाई की कड़ी निंदा करता है। पत्रकारों के संगठन के रूप में काम करने वाली सीपीसी ने आरोप लगाया कि कई मामलों में समाचार पत्र वितरण वाहनों को कथित तौर पर पुलिस थानों में ले जाया गया, जिससे वितरण कर्मचारियों को अनावश्यक रूप से परेशान किया गया और वितरण में देरी हुई।