राष्ट्र के नाम अपने अंतिम संबोधन में निर्वतमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि अपने कार्यकाल के पांच वर्षों के दौरान, मैंने अपनी पूरी योग्यता से अपने दायित्वों का निर्वहन किया है। मैं डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, डॉक्टर एस. राधाकृष्णन और डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम जैसी महान विभूतियों का उत्तराधिकारी होने के नाते बहुत सचेत रहा हूं।
I firmly believe that our country is getting equipped to make the 21st century, the century of India. pic.twitter.com/hkDnq0WwQI
— President of India (@rashtrapatibhvn) July 24, 2022
कानपुर दौरे को याद कर बोले- यह दौरा सबसे यादगार पलों में-
बतौर राष्ट्रपति इसी साल अपने गांव के दौरे का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान अपने पैतृक गांव का दौरा करना और अपने कानपुर के विद्यालय में वयोवृद्ध शिक्षकों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना मेरे जीवन के सबसे यादगार पलों में हमेशा शामिल रहेंगे।
अपनी जड़ों से जुड़े रहना भारतीय संस्कृति की विशेषता-
अपने संघर्ष को लेकर रामनाथ कोविंद ने कहा कि कानपुर देहात जिले के परौंख गांव के अति साधारण परिवार में पला-बढ़ा राम नाथ कोविन्द आज आप सभी देशवासियों को संबोधित कर रहा है, इसके लिए मैं अपने देश की जीवंत लोकतांत्रिक व्यवस्था की शक्ति को शत-शत नमन करता हूं। उन्होंने आगे कहा कि अपनी जड़ों से जुड़े रहना भारतीय संस्कृति की विशेषता है। मैं युवा पीढ़ी से यह अनुरोध करूंगा कि अपने गांव या नगर तथा अपने विद्यालयों तथा शिक्षकों से जुड़े रहने की इस परंपरा को आगे बढ़ाते रहें।
If Ram Nath Kovind from village Paraunkh is addressing you today, it is solely thanks to the inherent power of our vibrant democratic institutions. pic.twitter.com/JL2276uCk9
— President of India (@rashtrapatibhvn) July 24, 2022
स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानियों को किया याद-
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को याद करते हुए रामनाथ कोविंद ने कहा कि उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान पूरे देश में पराधीनता के विरुद्ध अनेक विद्रोह हुए। देशवासियों में नयी आशा का संचार करने वाले ऐसे विद्रोहों के अधिकांश नायकों के नाम भुला दिए गए थे। अब उनकी वीर-गाथाओं को आदर सहित याद किया जा रहा है। तिलक और गोखले से लेकर भगत सिंह और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस तक; जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और श्यामा प्रसाद मुकर्जी से लेकर सरोजिनी नायडू और कमलादेवी चट्टोपाध्याय तक - ऐसी अनेक विभूतियों का केवल एक ही लक्ष्य के लिए तत्पर होना, मानवता के इतिहास में अन्यत्र नहीं देखा गया है।
राष्ट निर्माण में महिलाओं के सहयोग को किया रेखाकिंत-
महिलाओं के बारे में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि संविधान सभा में पूरे देश का प्रतिनिधित्व करने वाले अनेक महानुभावों में हंसाबेन मेहता, दुर्गाबाई देशमुख, राजकुमारी अमृत कौर तथा सुचेता कृपलानी सहित 15 महिलाएं भी शामिल थीं। संविधान सभा के सदस्यों के अमूल्य योगदान से निर्मित भारत का संविधान, हमारा प्रकाश-स्तम्भ रहा है।
पूर्वजों और राष्ट्र निर्माताओं के पदचिह्न पर चलना चाहिए-
राष्ट्र को संदेश देते हुए रामनाथ कोविंद ने कहा कि हमारे पूर्वजों और हमारे आधुनिक राष्ट्र-निर्माताओं ने अपने कठिन परिश्रम और सेवा भावना के द्वारा न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के आदर्शों को चरितार्थ किया था। हमें केवल उनके पदचिह्नों पर चलना है और आगे बढ़ते रहना है। अपने संबोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के लिए हमारा देश सक्षम हो रहा है, यह मेरा दृढ़ विश्वास है।
यह भी पढ़ेंः संसद में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दी गई विदाई, PM मोदी सहित दोनों सदनों के सदस्य मौजूद
पर्यावरण, जमीन, हवा और पानी का करना है संरक्षण-
अगली पीढ़ी से सामने आने वाली समस्याओं का जिक्र करते हुए रामनाथ कोविंद ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का संकट हमारी धरती के भविष्य के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है। हमें अपने बच्चों की खातिर अपने पर्यावरण, अपनी जमीन, हवा और पानी का संरक्षण करना है। मैं सभी देशवासियों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। भारत माता को सादर नमन करते हुए मैं आप सभी के उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता हूं।