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One Nation One Election पर आया बड़ा अपडेट, पूर्व राष्ट्रपति ने बताया कब होगी कमेटी की पहली बैठक

One Nation One Election first meeting: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज मीडिया को बताया कि केंद्र सरकार ने 'वन नेशन वन इलेक्शन' का मुद्दा उठाते हुए इस पर अमल के लिए कदम भी बढ़ा दिया है।

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 Ramnath kovind told when held on One Nation One Election first meeting

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद


केंद्र सरकार देश में बार-बार होने वाले चुनावों से बचने के लिए वन नेशन वन इलेक्शन की योजना लानी चाहती है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे लेकर कई बार सार्वजनिक रुप से लेकर बोल चुके है। इसे लेकर सरकरा ने करीब 15 दिन पहले पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था। अब इसी कमेटी की पहली बैठक को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। कमेटी की पहली बैठक कब होगी इस बात की जानकारी खुद पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दी हैं।


गृहमंत्री और कांग्रेस नेता भी कमेटी में शामिल

प्राप्त जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई चुनाव समिति में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस की तरफ से अधीर रंजन चौधरी, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद, एनके सिंह, सुभाष कश्यप, हरीश साल्वे और संजय कोठारी शामिल हैं। हालांकि, अधीर रंजन ने कमेटी से अपना नाम वापस ले लिया है। अधीर ने सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए और कहा कि ये समिति एक पहले से तैयार निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए बनाई गई है, न कि कोई राय लेने के लिए।


विशेष सत्र में बिल ला सकती है सरकार

वहीं, वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर अटकलों का दौर भी शुरू हो गया है। कुछ लोगों का मानना है कि केंद्र सरकार 18 से 22 सितंबर तक जो संसद का विशेष सत्र बुला रही है। उसमें वह वन नेशन वन इलेक्शन से जुडा़ बिल ला सकती है। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ऐसे काम करने के लिए जानी जाती है। अगर हम पिछले रिकॉर्डस को देखे तो सरकार ने ऐसे ही कश्मीर में धारा 370 हटाना हो, तीन तलाक के लिए कानून लाना हो या सवर्णों के आरक्षण देना हो ऐसे कानून लाकर हमेशा चौंकाया है।

विपक्ष एक स्वर में कर रहा विरोध

एक तरफ जहां देश की सत्ता पर राज कर रही BJP वन नेशन वन इलेक्शन को देश के विकास के लिए अहम बता रही है। वहीं कांग्रेस सहित विपक्ष के सभी प्रमुख दल इसका ये कह कर विरोध कर रहे हैं कि सरकार क्षेत्रीय दलों को खत्म करना चाहती है इसलिए वह ऐसे कानून ला रही है।

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