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क्या है ‘सेंगोल’, जानिए कैसे बना सत्ता का प्रतीक

Sengol To Be Placed In New Parliament: संसद के नए भवन में रखे जाने वाली एक खास चीज़ 'सेंगोल' के बारे में जानिए ,'सेंगोल' क्यों है खास ? कैसे बना सत्ता का प्रतीक?

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जयपुर

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Tanay Mishra

May 24, 2023

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Sengol

Sengol To Be Placed In New Parliament: प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने संसद भवन में स्थापित किया सेंगोल, उनके साथ लोकसभा स्पीकर ओम बिरला भी साथ में मौजूद रहे। जानिए ,'सेंगोल' क्यों है खास ? कैसे बना सत्ता का प्रतीक?


क्या है सेंगोल?

सेंगोल संस्कृत शब्द "संकु" से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है 'शंख'। हिंदू धर्म में शंख को काफी पवित्र माना जाता है। यह चोल साम्राज्य से जुड़ा हुआ है। पुरातन काल में सेंगोल को सम्राटों की शक्ति और अधिकार का प्रतीक माना जाता था। इसे राजदंड भी कहा जाता था।

क्या होता है आकार?

सेंगोल एक पांच फीट लंबी छड़ी होती है, जिसके सबसे ऊपर भगवान शिव के वाहन कहे जाने वाली नंदी विराजमान होते हैं। नंदी न्याय और निष्पक्षता को दर्शाते हैं।


भारत की आज़ादी से जुड़ा है इतिहास

पंडित जवाहर लाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) ने 14 अगस्त, 1947 की रात लगभग 10:45 बजे तमिलनाडु के अधिनाम के माध्यम से सेंगोल को स्वीकार किया। सेंगोल अंग्रेजों से सत्ता का हस्तांतरण हमारे देशवासियों को करने का संकेत माना गया। सेंगोल का आज़ादी का एक अहम ऐतिहासिक प्रतीक माना जाता है क्योंकि सेंगोल अंग्रेजो से भारतीयों को सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक है। इसलिए इसे काफी खास माना जाता है।

चोल वंश से भी है जुड़ाव

सेंगोल का जुड़ाव चोल वंश से भी है। चोल वंश में जब सत्ता का हस्तांतरण होता था, तब गद्दी पर विराजमान राजा नए बनने वाले राजा को सेंगोल सौंपकर सत्ता का हस्तांतरण दर्शाता था। सेंगोल को हिंदी में राजदंड कहते हैं और चोल वंश में इसका इस्तेमाल महत्वपूर्ण माना जाता था। चोल वंश में जब कोई राजा अपना उत्तराधिकारी घोषित करता था, तब अपने उत्तराधिकारी को भी सेंगोल सौंपता था। सेंगोल सौंपना चोल वंश में एक अहम परंपरा मानी जाती थी।

कैसे बना सत्ता का प्रतीक?

चोल वंश में सेंगोल का इस्तेमाल सत्ता के हस्तांतरण के लिए किया जाता था। फिर अंग्रेजो से भारतीयों को सत्ता के हस्तांतरण के बाद सेंगोल देश में सत्ता का प्रतीक बन गया।