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हुर्रियत नेता अब्दुल गनी भट का निधन, महबूबा मुफ्ती के पिता से था खास रिश्ता

Abdul Ghani Bhat Passes Away: ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के पूर्व चेयरमैन प्रोफेसर अब्दुल गनी भट का निधन कश्मीर के अलगाववादी आंदोलन के लिए बड़ा झटका है। वे भारत की कश्मीर नीतियों के कट्टर आलोचक रहे।

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हुर्रियत नेता अब्दुल गनी भट का निधन (Photo-ANI)

Abdul Ghani Bhat Passes Away: जम्मू-कश्मीर के प्रमुख अलगाववादी नेता और ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के पूर्व चेयरमैन प्रोफेसर अब्दुल गनी भट का 17 सितंबर 2025 को 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे और उत्तरी कश्मीर के सोपोर स्थित अपने पैतृक घर में अंतिम सांस ली। उनके निधन से कश्मीर की राजनीति में एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त हो गया, जहां वे कट्टरपंथी अलगाववादी विचारधारा के प्रतीक थे। उनका निधन कश्मीर के अलगाववादी आंदोलन के लिए बड़ा झटका है। वे भारत की कश्मीर नीतियों के कट्टर आलोचक रहे। उनके निधन पर राजनीतिक दलों ने शोक व्यक्त किया है।

शिक्षा और राजनीतिक सफर

प्रो. भट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की थी। वे कश्मीर में पाकिस्तानी एजेंडे को मजबूत करने के लिए सक्रिय रहे। 1987 में उन्होंने मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट का गठन किया, जिसमें सैयद अली शाह गीलानी, अब्दुल गनी लोन, मीरवाइज मौलवी निसार और शबीर शाह जैसे नेता शामिल थे। यासीन मलिक और सलाहुद्दीन जैसे युवा भी इसी संगठन से उभरे। फ्रंट ने 1987 के चुनाव लड़े, लेकिन हार के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस पर धांधली का आरोप लगाया। पाकिस्तान के समर्थन से उन्होंने मुस्लिम कॉन्फ्रेंस को पुनर्जीवित किया।

हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के गठन में अहम भूमिका

1993 में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के गठन में उनकी अहम भूमिका रही और वे इसके चेयरमैन बने। 2003 के विभाजन के बाद वे मीरवाइज उमर फारूक के गुट में शामिल हो गए। हालांकि, वे गीलानी की नीतियों के आलोचक रहे।

महबूबा मुफ्ती के पिता से था ये खास रिश्ता

प्रो. भट का पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के साथ सहपाठी का खास रिश्ता था, जो महबूबा मुफ्ती के पिता थे। 2016 के बुरहान वानी मृत्यु के बाद हुई हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान उन्होंने अलगाववादी हड़ताल कैलेंडर से खुद को अलग कर लिया। उन्होंने कहा, यह कश्मीर की तबाही से ज्यादा कुछ नहीं है। इनसे कश्मीर का भला नहीं होगा और न कश्मीर में कभी जनमत संग्रह या आजादी की बात बनेगी, इसके लिए कोई प्रभावी तरीका अपनाया जाना चाहिए।

भाई की हत्या पर कहा था- अपने लोगों ने मारा

2017 में वे सरकार के वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा से मिले, जिसके बाद मुस्लिम कॉन्फ्रेंस से निष्कासित कर दिए गए। उन्होंने हुर्रियत पर कश्मीर की आजादी का रोडमैप न देने का आरोप लगाया। 4 जनवरी 2011 को उन्होंने आंतरिक हत्याओं पर कहा, हमारे अपने ही कुछ लोगों को, हमारे अपनों ने ही कत्ल किया और कत्ल कराया है, जिसमें मीरवाइज फारूक और अब्दुल गनी लोन की हत्याओं का जिक्र था। उनके भाई को भी आतंकियों ने मार डाला था। गीलानी पर संवाद के दोहरे मापदंड का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, हम लोग जब बातचीत की वकालत करें तो काफिर हो जाते हैं, लेकिन खुद संसदीय प्रतिनिधिमंडलों से मिलने में कोई हिचक नहीं है, यह कैसा दोगलापन है।