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370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद बोलीं शेहला रशीद , कहा – फैसले से कुछ हद…

SC verdict on abrogation of Article 370: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू - कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले के खिलाफ वाली याचिका पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा है। कोर्ट का फैसला आने के बाद जेएनयू की पूर्व छात्रा शेहला रशीद का भी बयान सामने आया है।

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shehla rashid on Article 370

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के हटाने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 22 याचिकाओं आज फैसला आया है। अदालत ने सरकार के फैसले को बरकरार रखा है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की संवैधानिक पीठ ने अपना फैसला एक मत से सुनाया। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश डी.वाई चंद्रचूड़ी की अगुवाई वाली संवैधानिक पीठ ने कहा कि धारा 370 एक अस्थायी प्रावधान था और उसके हटाने का केंद्र के पास अधिकार है। उन्होंने आगे कहा कि आर्टिकल 370 हटाने में कोई दुर्भावना नहीं थी। अदालत का फैसला आने के बाद जेएनयू की पूर्व संघ नेता शेहला रशीद का प्रतिक्रिया सामने आई है।

अदालत के फैसले का किया समर्थन

शेहला रशीद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘ मुझे उम्मीद है कि अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कुछ हद तक समाधान निकलेगा और जम्मू-कश्मीर के लोगों को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। जैसा कि न्यायमूर्ति कौल ने कहा, अतीत अतीत है, लेकिन भविष्य हमारा इंतजार कर रहा है। शांति, समृद्धि और सद्भाव के लिए प्रार्थना।’

पीएम नरेंद्र मोदी ने अनुच्छेद 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई है। नया जम्मू कश्मीर का स्लोगन देते हुए उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर आज का सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है और 5 अगस्त 2019 को भारत की संसद द्वारा लिए गए फैसले को संवैधानिक रूप से बरकरार रखा है। यह जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में हमारी बहनों और भाइयों के लिए आशा, प्रगति और एकता की एक शानदार घोषणा है। न्यायालय ने अपने गहन ज्ञान से एकता के मूल सार को मजबूत किया है जिसे हम, भारतीय होने के नाते, बाकी सब से ऊपर मानते हैं।"

साढ़े चार साल बाद आया फैसला

गौरतलब है कि केंद्र की मोदी सरकार ने 5 अगस्त साल 2019 को जम्मू -कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को हटा दिया था। साथ ही राज्य को दो भागों जम्मू -कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करते हुए केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था। केंद्र सरकार के इस निर्णय के खिलाफ शीर्ष अदालत में 23 याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिस पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर महीने में आदेश सुरक्षित रख लिया था। आज इस मामले में शीर्ष अदालत के पांच न्यायधीशों की संविधान पीठ ने अपना आदेश सुनाया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली इस पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल थे।
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