
सुप्रीम कोर्ट ने शांदी का झांसा देकर यौन संबंध बनाने के आरोप पर चिंता जताई।
Supreme Court on Rape allegation after Romance and breakup: शादी का झूठा वादा कर बलात्कार के मामले दर्ज कराने की बढ़ती प्रवृत्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को चिंता जताई। जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि रोमांस और कपल के ब्रेकअप के मामले में महिलाओं को बलात्कार के मामले दर्ज नहीं कराने चाहिए। ऐसे मामले अक्सर रूढि़वादी मानसिकता का परिणाम होते हैं। पीठ ने टिप्पणी की, रूढि़वादी मानसिकता काम कर रही है, क्योंकि यहां पुरुष को दोषी ठहराया जाता है। हमारी व्यवस्था में खामियां हैं।
Rape On False Promise To Marry: पीठ एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसने उस महिला द्वारा लगाए गए बलात्कार के आरोपों को खारिज करने की मांग की है, जिसकी उससे सगाई हो चुकी थी। महिला ने कहा कि शादी का झांसा देकर उसके साथ यौन संबंध बनाए गए। पीठ ने कहा, अगर तुम इतनी भोली होती तो हमारे सामने नहीं आती। तुम बालिग हो। ऐसा नहीं हो सकता कि तुम्हें विश्वास दिला दिया गया कि शादी हो जाएगी। आज युवाओं के बीच नैतिकता, सद्गुणों की अवधारणा अलग है। अगर हम आपकी बात से सहमत हों तो कॉलेज आदि में लड़के और लड़की के बीच कोई भी संबंध दंडनीय हो जाएगा। मान लीजिए कि वे एक-दूसरे से प्यार करते हैं। लड़का कहता है कि मैं अगले हफ्ते तुमसे शादी करूंगा और फिर मना कर देता है… तो क्या यह अपराध है? जस्टिस सुंदरेश ने यह भी कहा कि वैवाहिक अधिकारों की बहाली के प्रावधानों की भी फिर से जांच होनी चाहिए, जिसके तहत महिला को पति के साथ रहने के लिए मजबूर किया जाता है।
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पीड़िता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता माधवी दीवान ने कहा कि यह प्रेम संबंध में खटास का नहीं, बल्कि तय विवाह का मामला है। पीठ ने कहा, इससे क्या फर्क पड़ता है? कल वैवाहिक बलात्कार का आरोप लगाया जा सकता है। एकमात्र तथ्य यह है कि शादी नहीं हुई। पीठ ने कहा कि महिला ने दीवान के स्तर का वकील नियुक्त किया। यह अपने आप में सबूत है कि उसे भोली-भाली नहीं माना जा सकता।
Published on:
03 Apr 2025 07:45 am
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