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Talaq : पत्नी से पति नहीं बनाता था शारीरिक संबंध और आध्यात्मिक…, तलाक के आदेश पर हस्बैंड हाईकोर्ट पहुंचा तब जज ने क्या कहा?

Talaq case: हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अपने जीवनसाथी पर किसी किस्म की मान्यताएं थोपने का हक किसी को नहीं है। ऐसा करना मानसिक क्रूरता है।

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Kerala High Court on Divorce

Kerala High Court comment on divorce case

Talaq granted to wife: केरल हाईकोर्ट ने तलाक के मामले में फैसला सुनाते हुए पत्नी पर आध्यात्मिक जीवन जीने का दबाव डालने को मानसिक क्रूरता करार दिया है। महिला ने पति पर आरोप लगाया था कि वह उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाता, न ही बच्चे पैदा करने में रुचि रखता था। वह ज्यादातर समय मंदिरों और आश्रमों में बिताता था और उस पर भी आध्यात्मिक जीवन का दबाव डालता था।

जीवनसाथी पर व्यक्तिगत मान्यताएं थोपने का हक नहीं: हाईकोर्ट

जस्टिस देवन रामचंद्रन और एम.बी. स्नेहलता की पीठ कहा, किसी को भी जीवनसाथी पर व्यक्तिगत मान्यताएं थोपने का हक नहीं है। पति का पत्नी को आध्यात्मिक जीवन अपनाने के लिए मजबूर करना और वैवाहिक जिम्मेदारियों को अनदेखा करना मानसिक क्रूरता के दायरे में आता है। हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए तलाक को मंजूरी दे दी।

'पति ने शादी के बाद मेरी पढ़ाई छुड़वा दी'

महिला ने कोर्ट को बताया, शादी के बाद पति का व्यवहार पूरी तरह बदल गया। उसने मुझे पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर किया। पति के लिए शादी का मतलब सिर्फ आध्यात्मिक जीवन जीना था, लेकिन मैं सामान्य विवाहित जीवन चाहती थी। पति ने कोर्ट मे दलील दी कि पत्नी ने खुद पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने तक बच्चा न पैदा करने का फैसला किया था। मैंने उस पर कोई दबाव नहीं डाला। उसने यह भी कहा कि उसकी आध्यात्मिक जीवनशैली को गलत तरीके से समझा गया। कोर्ट ने उसकी दलीलों को खारिज कर दिया।

कोर्ट ने सुधरने के वादे पर पहले दिया था मौका

आयुर्वेदिक डॉक्टर महिला ने 2019 में तलाक के लिए याचिका दायर की थी। पति ने सुधरने का वादा किया तो उसने याचिका वापस ले ली। हालात जस के तस रहे तो उसने 2022 में फिर तलाक के लिए कोर्ट का रुख किया। फैमिली कोर्ट ने तलाक का आदेश दिया। पति ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी।