Supreme Court on Social Media:सुप्रीम कोर्ट (SC) ने सोमवार को केंद्र को एक जनहित याचिका पर नोटिस (Notice) जारी किया जिसमें
सोशल मीडिया (Social Media) अकाउंट/पोस्ट को पोस्ट अपलोड करने वाले खाताधारक को नोटिस जारी किए बिना ब्लॉक करने को चुनौती दी गई है। दरअसल, न्यायमूर्ति बीआर गवई BR Gavai) और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह (Augustine George Masih) की पीठ ने सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ (Software Freedom Law) सेंटर की याचिका पर केंद्र से छह सप्ताह के भीतर जवाब मांगा, जिसमें कहा गया है कि X (पूर्व में ट्विटर) जैसे मध्यस्थ अक्सर सरकारी निर्देशों पर ट्वीट हटा देते हैं बिना खाताधारक को सूचित किए।
केंद्र से पूछे सवाल
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि सरकार के पास जानकारी हटाने की शक्ति है, लेकिन उस ट्वीट को पोस्ट करने वाले व्यक्ति को नोटिस दिया जाना चाहिए, और ऐसा न करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि वर्तमान कानून यह अनिवार्य करता है कि व्यक्ति या मध्यस्थ को नोटिस जारी किया जाना चाहिए।
पीठ ने सुनाया फैसला
मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि यह प्रथम दृष्टया इस राय का है कि यदि पोस्ट के पीछे कोई पहचान योग्य व्यक्ति है, तो संबंधित पोस्ट को हटाने से पहले उसे सुना जाना चाहिए।
> पीठ ने इस याचिका को लेकर शुरू में कहा कि कोई भी पीड़ित व्यक्ति इस मुद्दे पर अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है और कहा कि अगर व्यक्ति की पहचान की जा सकती है, तो नोटिस दिया जाएगा और अगर सूचना देने वाले व्यक्ति की पहचान नहीं की जा सकती है, तो मध्यस्थ को नोटिस दिया जाएगा।
> जयसिंह ने कहा कि चुनौती यह है कि सूचना देने वाले व्यक्ति के संबंध में प्राकृतिक न्याय के नियमों का पालन नहीं किया जाता है। वहीं, न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि हमें प्रथम दृष्टया लगता है कि नियम को इस तरह से पढ़ा जाना चाहिए कि अगर कोई व्यक्ति पहचान योग्य है, तो उसे नोटिस दिया जाना चाहिए।
> इस याचिका में कहा गया है कि बिना किसी नोटिस या सुनवाई का अवसर दिए वेबसाइट, एप्लीकेशन और सोशल मीडिया अकाउंट को ब्लॉक किए जाने के कई उदाहरण हैं।
आईटी अधिनियम को किया स्पष्ट
जयसिंह ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता की चुनौती आईटी अधिनियम की धारा 69ए के तहत शक्ति के प्रयोग में कुछ पोस्ट/जानकारी को हटाने के राज्य के अधिकार पर नहीं है, बल्कि किसी ऐसे व्यक्ति को नोटिस जारी न करने पर है जिसने स्पष्ट रूप से संबंधित जानकारी को सार्वजनिक क्षेत्र में रखा है।
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