
supreme court (प्रतीकात्मक फोटो)
जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर नकदी प्रकरण तथा इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के चर्चित विवादित बोल के मामले सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) कॉलेजियम ने हाईकोर्टों (High Court) में जजों की नियुक्ति से पहले अभ्यर्थियों की समीक्षा कड़ी कर दी है। इसके तहत जजों की नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट कॉलेजियम से आने वाले नामों की सामान्य जांच के अलावा अब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) अभ्यर्थियों के व्यक्तिगत इंटरव्यू कर रहा है।
देश के चीफ जस्टिस बीआर गवई और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के दो वरिष्ठ सदस्य जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ ने एक जुलाई से मध्यप्रदेश, राजस्थान, पटना, इलाहाबाद, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुवाहाटी और दिल्ली सहित विभिन्न हाईकोर्टों के 54 अभ्यर्थियों के इंटरव्यू किए हैं।
सीजेआइ गवई की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने इंटरव्यू के बाद गुरुवार को राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित छह हाईकोर्टों में 30 जजों की नियुक्ति की सिफारिश कर दी। इनमें 20 अभ्यर्थियों को सर्विस कोटे से तथा 10 अभ्यर्थियों को बार कोटे से चयन किया गया है।
जानकार सूत्रों के अनुसार इंटरव्यू के दौरान कॉलेजियम के सदस्य अभ्यर्थियों से उनके बायोडेटा से जुड़े सवालों के अलावा उनके कार्यक्षेत्र, विशेषज्ञता, विभिन्न संस्थाओं से जुड़ाव आदि के बारे में गहनता से चर्चा कर योग्यता व क्षमता का विश्लेषण कर रहे हैं। हर अभ्यर्थी सेअधिकतम आधा घंटा बातचीत कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार पूर्व में हाईकोर्ट कॉलेजियम,संंबंधित राज्य सरकार, संबंधित राज्य से आने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज के इनपुट और खुफिया ब्यूरो (आइबी) की रिपोर्ट से फाइल का विश्लेषण कर ही कॉलेजियम नियुक्ति की सिफारिश करता था। पिछले सीजेआइ संजीव खन्ना के कार्यकाल में संभावित जजों से इंटरव्यू की परिपार्टी शुरू की गई।
पर्सनल इंटरव्यू के जरिए संभावित जज की न्यायिक सोच और संवैधानिक न्यायालय के लिए उपयुक्तता का आंकलन किया जाता है। सूत्रोंं के अनुसार इंटरव्यू की प्रथा शुरू होने के बाद विचारणीय सूची में से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से केंद्र को भेजी जाने वाली नियुक्ति का अनुपात करीब 50 फीसदी रह गया जो पहले 85 फीसदी तक होता था।
Published on:
04 Jul 2025 07:30 am
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