
सुप्रीम कोर्ट (फोटो- IANS)
सुप्रीम कोर्ट में एक वकील ने तत्काल सुनवाई के लिए मामले को सूचीबद्ध करने की अपील की थी। इसपर शीर्ष अदालत के जस्टिस सूर्यकांत नाराज हो गए।
उन्होंने सख्त लहजे में कह दिया कि जब तक किसी को फांसी नहीं होने वाली हो, मैं किसी भी मामले को उसी दिन सूचीबद्ध नहीं करूंगा।
बता दें कि एक आवासीय घर की नीलामी से जुड़े मामले में उसी दिन तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया गया था, जिसे जस्टिस सूर्यकांत ने खारिज कर दिया।
वकील की तरफ से यह अनुरोध किया गया था कि उसके मुवक्किल के घर की उसी दिन नीलामी होनी है, ऐसे में मामले को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।
इसपर टिप्पणी करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आप लोग न्यायाधीशों की दुर्दशा को नहीं समझते हैं। क्या आपको पता है कि हम कितने घंटे सो रहे हैं?
उन्होंने कहा कि जब तक किसी की जान जाने का मामला न हो, केस उसी दिन लिस्ट नहीं किया जाएगा। उनकी इस टिप्पणी ने अदालतों में बढ़ते काम के बोझ और लंबित मामलों की हकीकत को उजागर किया है।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि न्यायपालिका सीमित संसाधनों और समय की कमी के कारण हर मामले को तुरंत प्राथमिकता नहीं दे सकती।
उन्होंने जोर दिया कि अदालतें सबसे पहले उन मामलों को प्राथमिकता देती हैं जहां किसी की जिंदगी या व्यक्तिगत स्वतंत्रता दांव पर लगी हो।
इससे पहले, 9 जून को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें केंद्र सरकार से समग्र शिक्षा योजना के मद में बकाए 2291 करोड़ रुपये जारी करने की मांग की गई थी। जस्टिस पीके मिश्र और जस्टिस मनमोहन ने कहा कि इस मामले में तत्काल सुनवाई की कोई जरूरत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर हनी बाबू की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि याचिकाकर्ता ने पर्याप्त तत्परता नहीं दिखाई और समय पर आवेदन दाखिल नहीं किया।
Published on:
24 Sept 2025 02:23 pm
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