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देशद्रोह कानून की वैधता के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज करेगा सुनवाई

Sedition Law validity सुप्रीम कोर्ट आज सोमवार 1 मई को देशद्रोह कानून की वैधता के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। 11 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने समीक्षा पूरी होने तक इस कानून पर रोक लगा दी थी।

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देशद्रोह कानून की वैधता के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज करेगा सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में आज बड़ा दिन है। सुप्रीम कोर्ट आज सोमवार 1 मई को देशद्रोह कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। देशद्रोह कानून औपनिवेशिक युग का एक दंडात्मक कानून है। उम्मीद जताई जा रही है कि, सोमवार को होने वाली सुनवाई में विवादास्पद दंड कानून की समीक्षा के संबंध में अब तक उठाए गए कदमों के बारे में केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दे सकती है। इस कानून को लेकर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया सहित कई अन्य याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 31 अक्तूबर 2022 को देशद्रोह कानून की समीक्षा के लिए सरकार से उचित कदम उठाने के निर्देश दिए थे। कार्य को पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अतिरिक्त समय भी दिया था। साथ ही देशद्रोह कानून और एफआईआर के परिणामी पंजीकरण पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट अपने 11 मई के निर्देश को बढ़ा दिया था।

सुप्रीम कोर्ट समीक्षा पूरी होने तक लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को जारी आदेश में विवादास्पद कानून पर उस समय तक के लिए रोक लगा दी, जब तक कि केंद्र इस कानून की समीक्षा पूरा नहीं लेती। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को इस कानून के तहत कोई नया मामला दर्ज नहीं करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि, देशद्रोह कानून के तहत जारी जांच, लंबित मुकदमे और सभी कार्यवाहियां पूरे देश में निलंबित रखी जाएं। साथ ही देशद्रोह के आरोपों में जेल में बंद लोग जमानत के लिए अदालत का रुख कर सकते हैं।

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देशद्रोह मामले पर कई याचिकाएं लम्बित

भारतीय दंड संहिता देशद्रोह के अपराध को 1890 में धारा 124 (ए) के तहत शामिल किया गया था। इंटरनेट मीडिया सहित अन्य मंचों पर असहमति की आवाज को दबाने के औजार के रूप में इसका इस्तेमाल किए जाने को लेकर यह कानून सार्वजनिक जांच के दायरे में है। एडिटर्स गिल्ड आफ इंडिया, मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एसजी वोमबटकेरे, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने इस मुद्दे पर याचिकाएं दायर की हैं।

छह साल में 356 मामले दर्ज, 548 गिरफ्तार

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के संकलित आंकड़ों के अनुसार, 2015 से 2020 के बीच देशद्रोह के 356 मामले दर्ज किए गए। और 548 लोगों को गिरफ्तार किया गया। हालांकि, देशद्रोह के सात मामलों में गिरफ्तार 12 लोगों को ही छह साल की अवधि में दोषी करार दिया गया।

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