
इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 11 अप्रैल को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 11 अप्रैल को विचार करेगा। ताकि यह जांच की जा सके कि इस मामले की सुनवाई संविधान पीठ द्वारा की जानी चाहिए या नहीं। एक याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता शादान फरासत ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष तर्क दिया कि, इस मामले का पहलू राजनीतिक दलों के वित्त के मूल से संबंधित है। और इस मुद्दे पर एक आधिकारिक घोषणा की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट के विचारार्थ उनके द्वारा तैयार किए गए सवालों की ओर इशारा करते हुए अधिवक्ता शादान फरासत ने कहा कि, अदालत इस मामले को संविधान पीठ द्वारा सुने जाने पर विचार कर सकती है।
संविधान पीठ करेगी सहीं न्याय
एक याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा, हमें तभी फायदा होगा। जब यह संविधान पीठ होगी। इससे किसी का अहित नहीं होगा। हां, यह मुद्दा हमारे लोकतांत्रिक अस्तित्व के मूल में जाता है। अब तक 12,000 रुपए और सबसे बड़ी पार्टी को दो तिहाई से अधिक मिलता है।
न्यायमूर्ति ने केंद्र के वकील से पूछा
पीठ में न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा ने केंद्र के वकील से पूछा कि, क्या वह इस मामले को संविधान पीठ को सौंपने के पहलू पर बहस करने के लिए तैयार हैं। वकील ने जवाब दिया कि, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी जो सुनवाई के दौरान अदालत कक्ष में मौजूद नहीं थे, को तर्क देना होगा कि संविधान पीठ को संदर्भ दिया जाना चाहिए या नहीं।
याचिकाओं को संविधान पीठ भेजा जाएं या नहीं, इस बारे में 11 अप्रैल को लेंगा निर्णय
दलीलें सुनने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने 11 अप्रैल को सुनवाई के लिए मामले को निर्धारित किया। यह जांचने के लिए कि क्या याचिकाओं को संविधान पीठ को भेजा जाना चाहिए।
इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम राजनीतिक फंडिंग का बिल्कुल पारदर्शी तरीका, केंद्र ने रखा पक्ष
केंद्र ने पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि, इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम राजनीतिक फंडिंग का बिल्कुल पारदर्शी तरीका है। सुप्रीम कोर्ट एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोकेट्रिक रिफॉर्म्स एडीआर; की अगुआई वाली याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई कर रही थीए जिसमें राजनीतिक फंडिंग के स्रोत के रूप में केंद्र की इलेक्टोरल बांड योजना की वैधता को चुनौती दी गई है।
इलेक्टोरल बांड की बिक्री रोकने का कोई औचित्य नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2021 में, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और पुडुचेरी में चुनावों से पहले इलेक्टोरल बांड की बिक्री को रोकने के लिए एडीआर द्वारा दायर दो स्थगन आवेदनों पर विचार करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने नोट किया कि, राजनीतिक दलों के फंडिंग में गुमनामी की चिंताओं या उनके दुरुपयोग की आशंकाओं पर इलेक्टोरल बांड की बिक्री को रोकने का कोई औचित्य नहीं था।
दो वकीलों को नोडल वकील नियुक्त किया
इस बीच, पीठ ने जनहित याचिकाओं की सुचारू सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए नेहा राठी सहित दो वकीलों को नोडल वकील नियुक्त किया और कहा कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए समन्वय करेंगे कि फैसलों और अन्य रिकॉर्डों का साझा संकलन दायर किया जाए। अप्रैल 2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बांड की प्राप्तियों का विवरण भारत के चुनाव आयोग को एक सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
Updated on:
21 Mar 2023 06:41 pm
Published on:
21 Mar 2023 06:39 pm
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