5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Supreme Court : सरकारी नौकरियों में ईडब्ल्यूएस आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट

EWS quota verdict संसद में 103वां संविधान संशोधन प्रस्ताव पारित कर आर्थिक रूप से कमज़ोर सामान्य वर्ग के लोगों को नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने की व्यवस्था की थी। जिसके खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट फैसला देगी। पांच जजों की बेंच इस याचिका की सुनवाई करेगी। 8 नवंबर को चीफ जस्टिस यू.यू. ललित रिटायर होंगे।

2 min read
Google source verification
supreme_court.jpg

सरकारी नौकरियों में ईडब्ल्यूएस आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट

ईडब्ल्यूएस लोगों के लिए आज बेहद अहम दिन है। सुप्रीम कोर्ट आज आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लोगों को नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के मामले पर फैसला सुनाएगा। सुप्रीम कोर्ट में ईडब्ल्यूएस आरक्षण का प्रावधान करने वाले 103वें संविधान संशोधन की वैधता को चुनौती दी गई है। मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, एस. रवींद्र भट, बेला एम. त्रिवेदी और जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता में पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस बेहद संजीदा मामले पर फैसला सुरक्षित रखा है। केंद्र सरकार ने 2019 में संसद में 103वां संविधान संशोधन प्रस्ताव पारित कर आर्थिक रूप से कमज़ोर सामान्य वर्ग के लोगों को नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने की व्यवस्था की थी। तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी डीएमके समेत कई याचिकाकर्ताओं ने संविधान के खिलाफ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

सात दिन चली सुनवाई

ईडब्ल्यूएस आरक्षण मामले में सात दिनों तक लगातार सुनवाई चली। बेंच ने 27 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। 8 नवंबर को चीफ जस्टिस रिटायर हो रहे हैं। इससे पहले चीफ जस्टिस की बेंच फैसला सुना सकती हैं। इस बेंच में चीफ जस्टिस सहित एस रवींद्र भट, दिनेश माहेश्वरी, जेबी पार्डीवाला और बेला एम त्रिवेदी शामिल हैं।

बचाव में सरकार ने अपने कई तर्क रखें

ईडब्ल्यूएस आरक्षण मामले में वरिष्ठ वकीलों ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में तर्क दिया। जिसके बाद (तत्कालीन) अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ईडब्ल्यूएस कोटे के बचाव में अपने तर्क रखे।

यह कानून अत्यंत गरीबों के लिए आरक्षण का करता है प्रावधान

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कानून का समर्थन करते हुए कहा था कि, यह कानून अत्यंत गरीबों के लिए आरक्षण का प्रविधान करता है। इस लिहाज से यह संविधान के मूल ढांचे को मजबूत करता है। यह आर्थिक न्याय की अवधारणा को सार्थक करता है। इसलिए इसे मूल ढांचे का उल्लंघन करने वाला नहीं कहा जा सकता।

यह संविधान से धोखाधड़ी - जी मोहन गोपाल

कानूनी विद्वान डा जी मोहन गोपाल ने याचिकाकर्ताओं में से एक का प्रतिनिधित्व करते हुए तर्क दिया कि वर्गों का विभाजन, आरक्षण देने के लिए एक पूर्वापेक्षा के रूप में आवश्यक होने की गुणवत्ता संविधान के मूल ढांचे का विरोध करती है। इससे पहले, गोपाल ने तर्क दिया था कि 103 वां संशोधन संविधान के साथ धोखाधड़ी है।

यह भी पढ़े - Delhi Air Pollution : दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट 10 नवंबर को करेगा सुनवाई

यह भी पढ़े - Red Fort Attack Case : लाल किला हमले के दोषी अशफाक को मिलेगी फांसी, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की पुनर्विचार याचिका