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SIR: बांग्लादेश सीमा से सटे बंगाल के 3 जिले, जहां मिले 10 लाख संदिग्ध वोटर, जानें चुनाव आयोग को कैसे लगी भनक?

पश्चिम बंगाल में वंश मैपिंग में 1.36 करोड़ संदिग्ध वोटर्स मिले, जिनमें से 4.08 लाख मुर्शिदाबाद में हैं। दक्षिण 24 परगना (3.78 लाख) और उत्तर 24 परगना (2 लाख+) भी टॉप पर। ये जिले बांग्लादेश सीमा से सटे हैं।

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मतदाता लिस्ट। (फाइल फोटो- पत्रिका)

भारत-बांग्लादेश सीमा से सटे पश्चिम बंगाल के तीन जिलों मुर्शिदाबाद, दक्षिण 24 परगना और उत्तर 24 परगना में सबसे ज्यादा संदिग्ध वोटर पाए गए हैं। स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) के दौरान 'वंश मैपिंग' में उनके फैमिली ट्री डेटा में अजीब बात सामने आई है। जिसके बाद उनके संदिग्ध होने का पता चला है।

कहां कितने संदिग्ध वोटर्स?

पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) के ऑफिस के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि वंश मैपिंग में पाए गए 1.36 करोड़ संदिग्ध मामलों में से सबसे ज्यादा लगभग 4.08 लाख वोटर्स अल्पसंख्यक बहुल और भारत-बांग्लादेश सीमा से सटे मुर्शिदाबाद जिले में दर्ज किए गए हैं।

इसके बाद दूसरा नंबर दक्षिण 24 परगना जिले का है, जो भारत-बांग्लादेश सीमा से सटा हुआ है। जहां ऐसे संदिग्ध मामलों की संख्या 3.78 लाख दर्ज की गई है।

तीसरा जिला उत्तर 24 परगना है, जिसकी सीमा भी बांग्लादेश से लगती है, जहां ऐसे संदिग्ध वोटरों की संख्या दो लाख से थोड़ी ज्यादा दर्ज की गई है।

वंश मैपिंग वाले वोटर कौन?

वंश मैपिंग वाले वोटर वे हैं जिनके नाम 2002 की वोटर लिस्ट में नहीं थे, लेकिन उनके माता-पिता के नाम थे। तब पश्चिम बंगाल में आखिरी बार SIR हुआ था।

चुनाव आयोग ऑफिस के सूत्रों ने बताया कि वंश मैपिंग के दौरान एक खास टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते समय अजीब फैमिली ट्री डेटा से जुड़े संदिग्ध मामले सामने आए हैं।

कैसे संदिग्धों का लगाया गया पता?

ऐसे संदिग्ध वोटरों की एक कैटेगरी वे हैं, जिनके नाम 2002 की लिस्ट में नहीं थे, जबकि उस समय उनकी उम्र 18 साल से ज्यादा थी। ऐसे संदिग्ध मामलों की दूसरी कैटेगरी में वे वोटर शामिल हैं जो 15 साल या उससे कम उम्र में पिता बन गए।

इसके बाद 40 साल या उससे कम उम्र में वे दादा बन गए। दिलचस्प बात यह है कि इन वोटरों के माता-पिता के नाम भी एक जैसे हैं। सभी संदिग्ध मामलों को 27 दिसंबर से शुरू होने वाली ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर दावों और आपत्तियों की सुनवाई के दौरान बुलाया जाएगा।

दूसरे चरण में पूछा जाएगा सवाल

इन वोटरों से डेटा में अजीब बातों के बारे में पूछा जाएगा। उन्हें सुनवाई के दूसरे चरण में बुलाया जाएगा। पहले चरण में 'अनमैप्ड वोटरों' यानी ऐसे वोटर जिनका 2002 की लिस्ट से सेल्फ-मैपिंग या वंश मैपिंग के जरिए कोई लिंक नहीं है, उन्हें सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा।

ऐसे 'अनमैप्ड वोटर्स' की संख्या 30 लाख से थोड़ी ज्यादा है। वेरिफिकेशन के बाद ड्राफ्ट वोटर लिस्ट 16 दिसंबर को पब्लिश की गई थी।

वोटर्स की फाइनल लिस्ट 14 फरवरी, 2026 को पब्लिश की जाएगी। इसके तुरंत बाद, इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ईसीआई) अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए वोटिंग की तारीखों का ऐलान करेगा।