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सोने का सबसे बड़ा भंडार अमरीका के पास, भारत के हालात जानकार आप होंगे थोड़े से सरप्राइज!

भारत में सोने से बने आभूषण पहनने का रिवाज है और जब भी सोने के भंडारण की बात चलती है तो आम भारतीय यह अनुमान लगाते हैं कि हमारे देश में ही सोने का भंडार सबसे ज्यादा होगा। अगर हम सोना के भंडारण में पहले नहीं तो दूसरे या तीसरे नंबर पर तो आते ही होंगे। क्या है हकीकत इस खबर में हम आपको बताने जा रहे हैं।

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वर्ष 1970 के दशक में आधिकारिक तौर पर सोना के भंडारण त्याग दिए जाने के बावजूद कई देशों में अभी भी सोने के भंडार बने हुए हैं और अब बढ़ती आर्थिक अनिश्चितता के कारण इन भंडारों की मांग बढ़ रही है। केंद्रीय बैंक एक बार फिर प्राथमिक सुरक्षित-संपत्ति के रूप में सोने को प्राथमिकता दे रहे हैं। आधुनिक आर्थिक परिदृश्य में बदलाव के बावजूद सोने का भंडार किसी देश की साख और समग्र आर्थिक स्थिति को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फोर्ब्स ने एक नई लिस्ट जारी की है जिसमें यह बताया गया है कि सोना के भंडारण में शीर्ष 10 कौन कौन से हैं?

सबसे बड़े सोने के भंडार वाले शीर्ष 10 देशों की सूची

1. अमरीका सोने के भंडार के मामले में टॉप पर है। उसके पास दुनिया का सबसे अधिक 8,1336.46 टन सोने का भंडार है।

2. जर्मनी इस मामले में दूसरे नंबर पर है। उसके पास 3,352.65 टन सोने का भंडार है।

3. इटली तीसरे स्थान पर है। उसके पास 2,451.84 टन सोने का भंडार है।

4. फ्रांस के पास 2,436.88 टन सोने का भंडार है।

5. 2,332.74 टन सोने के भंडार के साथ रूस पांचवें स्थान पर है।

6. उच्च मध्यम आय वाले देश चीन के पास 2,191.53 टन सोने का भंडार है।

7. स्विट्जरलैंड के पास 1,040.00 टन सोने का भंडार है।

8. जापान के पास 845.97 टन सोने का भंडार है।

9. भारत 800.78 टन आरक्षित सोने के साथ सूची में 9वें स्थान पर है।

10. नीदरलैंड के पास 612.45 टन सोने का भंडार है

जानिए सोने का भंडार क्यों है जरूरी?

दुनिया के अलग अलग देशों द्वारा स्वर्ण भंडार बनाए रखने के एक नहीं, बल्कि कई कारण हैं। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि सोने को मूल्य के एक स्थिर और भरोसेमंद भंडार के रूप में पहचाना जाता है। खासकर वित्तीय अनिश्चितता के समय में सोने का भंडार के जरिए देश अपनी आर्थिक स्थिरता में विश्वास पैदा कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त सोने ने ऐतिहासिक रूप से किसी देश की मुद्रा के मूल्य को समर्थन देने में योगदान दिया है। फोर्ब्स की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि सोने के मानक का अब व्यापक रूप से अभ्यास नहीं किया जाता है। कुछ देश अभी भी सोने के भंडार को मुद्रा स्थिरता बनाए रखने की एक विधि के रूप में देखते हैं। सोना एक अचल संपत्ति होने के नाते किसी भी देश को इसे अपने भंडार में शामिल करके अपने समग्र पोर्टफोलियो में विविधता लाने में सक्षम बनाता है। यह विविधीकरण अन्य परिसंपत्तियों के मूल्य में उतार-चढ़ाव से जुड़े जोखिमों को कम करने में मदद करता है

एक वजह यह भी

अमरीकी डॉलर के साथ इसके विपरीत संबंध के कारण सोने का आकर्षण बढ़ गया है। जब डॉलर का मूल्य घटता है तब सोने की कीमत बढ़ती है और इससे केंद्रीय बैंकों को बाजार में अस्थिरता के दौरान अपने भंडार की रक्षा करने की अनुमति मिलती है। स्वर्ण भंडार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वित्त में भी भूमिका निभाते हैं। कुछ देश व्यापार असंतुलन को निपटाने या ऋण के लिए संपार्श्विक के रूप में सोने का उपयोग करते हैं। सोने के भंडार का अस्तित्व किसी देश की साख को बढ़ा सकता है और वैश्विक आर्थिक प्रणाली में उसकी स्थिति को प्रभावित कर सकता है।

आर्थिक संकट के दौरान बढ़ता है सोने का मूल्य

इसके अलावा सोना आर्थिक संकट के दौरान ढाल का काम करता है। इसका मूल्य अक्सर आर्थिक मंदी या भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच बढ़ता है। यह मुद्रास्फीति और मुद्रा अवमूल्यन से बचाता है।

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