
मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ने पर्दे व नीतीशकुमार पर बयान दिया। फोटो: पत्रिका
Controversial Incident: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा एक महिला आयुष डॉक्टर का नकाब (हिजाब) हटाने की घटना ने देशव्यापी राजनीतिक और सामाजिक तूफान खड़ा कर दिया है। इस विवाद में मशहूर गीतकार जावेद अख्तर की पर्दे व बुर्के पर टिप्पणी (Javed Akhtar Statement) ने आग में घी डालने का काम किया है, जिससे यह मामला अब व्यक्तिगत पसंद, धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक गरिमा की बहस में तब्दील हो गया है। ध्यान रहे कि सोमवार, 15 दिसंबर 2025 को पटना में नवनियुक्त 1,283 आयुष डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र वितरण का कार्यक्रम था। जब डॉ. नुसरत परवीन (Dr. Nusrat Parveen) अपना पत्र लेने मंच पर पहुंचीं, तो उनका चेहरा हिजाब/नकाब से ढका हुआ था। वीडियो में देखा जा सकता है कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar Hijab Video) ने उन्हें देखते ही "यह क्या है?" कहा और अचानक झुक कर खुद अपने हाथों से डॉक्टर का नकाब नीचे खींच दिया। तब मंच पर मौजूद उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने उन्हें रोकने की कोशिश भी की, लेकिन तब तक महिला डॉक्टर को सार्वजनिक रूप से असहज किया जा चुका था। इस घटना से आहत डॉ. नुसरत परवीन ने कथित तौर पर सरकारी सेवा में शामिल न होने का फैसला किया है।
इसी बीच, गीतकार जावेद अख्तर का एक पुराना और हालिया वीडियो वायरल हो गया। SOA लिटरेरी फेस्टिवल 2025 में बुर्के पर बात करते हुए अख्तर ने कहा था, "चेहरे में ऐसा क्या अश्लील या भद्दा है जिसे ढकने की जरूरत पड़े? क्या आपको अपने चेहरे से नफरत है या शर्मिंदगी है?" उन्होंने इसे 'ब्रेनवॉश' और 'पीयर प्रेशर' का नतीजा बताया।
अख्तर ने बुर्का और नकाब पहनने वाली महिलाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जो महिलाएं अपनी मर्जी से चेहरा ढकती हैं, वे 'ब्रेनवॉश' (भ्रमित) होती हैं। SOA लिटरेरी फेस्टिवल 2025 में एक छात्रा के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने तर्क दिया कि चेहरा ढकना व्यक्तिगत पसंद नहीं बल्कि सामाजिक दबाव (Peer Pressure) का नतीजा है। अख्तर ने सवाल उठाया कि किसी महिला के चेहरे में ऐसा क्या 'अश्लील' या 'भद्दा' है जिसे छिपाने की जरूरत पड़े और पूछा, "क्या आपको अपने चेहरे से शर्मिंदगी है?"। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि वे शालीन कपड़ों के पक्ष में हैं और यह नियम स्त्री-पुरुष दोनों पर समान रूप से लागू होना चाहिए।
हालांकि, नीतीश कुमार की घटना के बाद जावेद अख्तर ने स्पष्ट किया कि वे भले ही पर्दा प्रथा के ख़िलाफ़ हों, लेकिन वे मुख्यमंत्री की इस हरकत की कड़ी निंदा करते हैं। उन्होंने इसे महिला की गरिमा का उल्लंघन बताते हुए नीतीश कुमार से बिना शर्त माफ़ी मांगने की मांग की है।
इस घटना ने भारत ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रतिक्रियाएं दी हैं:
विपक्ष का हमला: आरजेडी और कांग्रेस ने नीतीश कुमार के मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल उठाते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है। शिवसेना (UBT) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे "सार्वजनिक उत्पीड़न" करार दिया।
नेशनल फेडरेशन ऑफ गर्ल इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन (GIO) और कई धार्मिक नेताओं ने इसे व्यक्तिगत गरिमा और अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) का सीधा उल्लंघन बताया है।
लखनऊ और अन्य शहरों में नीतीश कुमार के खिलाफ महिलाओं की लज्जा भंग करने (Section 354) के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए शिकायतें दी गई हैं।
कश्मीर से लेकर हैदराबाद तक के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस व्यवहार को एक शिक्षित महिला का सार्वजनिक अपमान बताया है।
बहरहाल, भाजपा के कुछ नेता इसे "अभिभावक जैसा व्यवहार" और "पहचान सत्यापन" बता कर बचाव कर रहे हैं, वहीं आम जनता और विशेषज्ञों का मानना है कि सत्ता किसी को भी किसी महिला की शारीरिक स्वायत्तता और पसंद के साथ जबरदस्ती करने का अधिकार नहीं देती।
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Updated on:
18 Dec 2025 06:08 pm
Published on:
18 Dec 2025 05:38 pm
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