
पूर्व सांसद विजय कुमार मल्होत्रा और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह। (फोटो- IANS)
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद विजय कुमार मल्होत्रा (Vijay Malhotra Passes Away) अब इस दुनिया में नहीं रहे। मंगलवार सुबह नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उनका निधन हो गया। उनकी उम्र 93 साल थी।
मल्होत्रा पांच बार सांसद (1980, 1984, 1996, 1999, 2004) और दो बार विधायक रह चुके हैं। पंजाब के लाहौर (अब पाकिस्तान में) में जन्मे मल्होत्रा ने अपनी राजनीतिक यात्रा भारतीय जनसंघ से शुरू की थी।
जब भी विजय मल्होत्रा की बात होती है तो 1999 के लोकसभा चुनाव का जिक्र जरूर होता है। दरअसल, इस चुनाव में मल्होत्रा ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को भारी अंतर से हराया था। यह उनके करियर की सबसे बड़ी जीत मानी जाती है।
इसके बाद, साल 2004 में मल्होत्रा दिल्ली से बीजेपी के एकमात्र विजयी उम्मीदवार थे। तब पार्टी को बाकी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। वे न केवल एक कुशल राजनेता थे, बल्कि शिक्षा और खेल प्रशासन के क्षेत्र में भी सक्रिय रहे।
मल्होत्रा भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी रह चुके थे। 2011 में कार्यवाहक अध्यक्ष रहे (सुरेश कलमाडी की गिरफ्तारी के बाद)। खेल प्रशासन में उनकी सक्रियता ने भारत के खेल क्षेत्र को मजबूत किया।
मल्होत्रा 1967 में दिल्ली नगर निगम के महापौर बने थे। यहीं से राजनीति में उनकी एंट्री हुई थी। 1972 में, वे दिल्ली प्रदेश जनसंघ के अध्यक्ष चुने गए और 1975 तक इस पद पर रहे। वे बीजेपी के दिल्ली इकाई के पहले अध्यक्ष (1980-84) रहे।
उन्होंने केदारनाथ साहनी और मदनलाल खुराना जैसे नेताओं के साथ मिलकर पार्टी की जड़ें गहरी कीं। मल्होत्रा को कई सालों तक दिल्ली में पार्टी को बचाए रखने का श्रेय दिया जाता है। दिलचस्प बात यह है कि एक समय ऐसा भी था, जब मल्होत्रा दिल्ली में सीट जीतने वाले एकमात्र भाजपा उम्मीदवार थे।
1999 के लोकसभा चुनाव में मनमोहन सिंह को कांग्रेस ने आर्थिक विशेषज्ञता की छवि के साथ दक्षिण दिल्ली सीट से मैदान में उतारा था। दूसरी तरफ, इस सीट से भाजपा के उम्मीदवार मल्होत्रा थे।
दिल्ली में चुनाव प्रचार के दौरान मल्होत्रा ने अपनी सादगी और हास्य के साथ जनता से संवाद किया। एक रैली में उन्होंने मजाकिया अंदाज में यह तक कह दिया कि मैं तो दिल्ली का लोकल लड्डू हूं, जो हर गली-मोहल्ले में मिलता है। बाहरी 'मिठाई' यहां नहीं चलेगी।
यह टिप्पणी जनता उस समय जनता को खूब पसंद आई। उनके जमीन से जुड़े अंदाज ने लोगों का दिल जीत लिया। नतीजा यह रहा है कि चुनाव में मल्होत्रा ने न केवल मनमोहन सिंह को हराया, बल्कि 1।3 लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की।
यह उस समय दिल्ली में बीजेपी की सबसे बड़ी जीतों में से एक थी। इस जीत ने उनकी लोकप्रियता और जनता के बीच उनकी स्वीकार्यता को और मजबूत किया।
Updated on:
01 Oct 2025 11:04 am
Published on:
30 Sept 2025 11:34 am
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