5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

पश्चिम बंगाल में कोरोना के साथ अब ‘ब्लैक फीवर’ का कहर, 11 जिलों से 65 मामले

पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के साथ-साथ अब कालाजार का भी प्रकोप दिखने लगा। बंगाल में काला जार खत्‍म हो चुके थे मगर 11 जिलों में पिछले कुछ हफ्तों में कालाजार के कम से कम 65 मामले सामने आए हैं।

2 min read
Google source verification
65 Kala Azar or black fever cases reported from 11 districts in West Bengal

65 Kala Azar or black fever cases reported from 11 districts in West Bengal

पश्चिम बंगाल में कोरोना के साथ-साथ अब कालाजार यानी ब्लैक फीवर का कहर बरप रहा है। यहां के 11 जिलों में ब्लैक फीवर के 65 मामले सामने आए हैं। स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने राज्य प्रशासित निगरानी के परिणामों का हवाला देते हुए कहा कि जिन जिलों में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए, उनमें दार्जिलिंग, मालदा, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर, बीरभूम, बांकुड़ा, पुरुलिया, मुर्शिदाबाद और कलिम्पोंग शामिल हैं। संक्रमितों की संख्या बढ़ने की आशंका भी जताई जा रही है।

अधिकारी ने कहा, "पश्चिम बंगाल से कालाजार को खत्म कर दिया गया था, वहीं पिछले 8 सालों बाद यह मामला फिर से देखने को मिल रहा है। हाल की निगरानी में 11 जिलों में 65 मामलों का पता चला है। अब जब ये मामले सामने आए हैं, तो राज्य बीमारी के प्रसार से निपटने में सक्षम होगा।" बता दें, ब्लैक फीवर मुख्य रुप से सैंडफ्लाइज (मक्खी की प्रजाति) के काटने से फैलता है। ये मक्खियां नम दीवारों या फर्श पर अंडे देती हैं। यह मक्खी परजीवी (पैरासाइट) लीशमैनिया डोनोवाली से संक्रमित होती हैं।

अधिकारियों के मुताबिक कि यह बीमारी ज्यादातर उन लोगों में देखने को मिलती थी जो बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में काफी समय रहे हैं। मगर अब बांग्लादेश के कुछ लोगों में भी कालाजार के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। इसके लिए निगरानी प्रक्रिया जारी रहेगी।" अधिकारी ने आगे कहा कि शहरी इलाकों में अभी तक कोई मामला सामने नहीं आया है। वहीं संक्रमितों का इलाज चल रहा है।

यह भी पढ़ें: West Bengal News: मालदा में देर रात खेत में छिपकर बना रहे थे देसी बम, फटने से 2 की मौत, 1 घायल

इस बिमारी के कुछ लक्षणों की बात करें तो इसमें14 दिनों से अधिक समय तक बुखार का रहना, वजन का घट जाना, स्पिलीन का बढ़ जाना, और एनीमिया होने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसे मामलों में स्किन ड्राय हो जाती है और चकत्ते से पड़ने लगते हैं. बाल गिरने लगते हैं। स्किन का रंग ग्रे दिखने लगता है। इसका असर हाथ, पैर, पेट और पीठ पर दिखता है, इसलिए इसे ब्लैक फीवर का नाम दिया गया है। वहीं इस बिमारी के लिए अब तक कोई टीका विकसित नहीं हो पाया है।

यह भी पढ़ें: President Election: द्रौपदी मुर्मू का समर्थन न करने पर बुरी फंसी ममता बनर्जी, BJP ने बताया आदिवासी विरोधी