अधिकारी ने कहा, “पश्चिम बंगाल से कालाजार को खत्म कर दिया गया था, वहीं पिछले 8 सालों बाद यह मामला फिर से देखने को मिल रहा है। हाल की निगरानी में 11 जिलों में 65 मामलों का पता चला है। अब जब ये मामले सामने आए हैं, तो राज्य बीमारी के प्रसार से निपटने में सक्षम होगा।” बता दें, ब्लैक फीवर मुख्य रुप से सैंडफ्लाइज (मक्खी की प्रजाति) के काटने से फैलता है। ये मक्खियां नम दीवारों या फर्श पर अंडे देती हैं। यह मक्खी परजीवी (पैरासाइट) लीशमैनिया डोनोवाली से संक्रमित होती हैं।
अधिकारियों के मुताबिक कि यह बीमारी ज्यादातर उन लोगों में देखने को मिलती थी जो बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में काफी समय रहे हैं। मगर अब बांग्लादेश के कुछ लोगों में भी कालाजार के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। इसके लिए निगरानी प्रक्रिया जारी रहेगी।” अधिकारी ने आगे कहा कि शहरी इलाकों में अभी तक कोई मामला सामने नहीं आया है। वहीं संक्रमितों का इलाज चल रहा है।
इस बिमारी के कुछ लक्षणों की बात करें तो इसमें14 दिनों से अधिक समय तक बुखार का रहना, वजन का घट जाना, स्पिलीन का बढ़ जाना, और एनीमिया होने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसे मामलों में स्किन ड्राय हो जाती है और चकत्ते से पड़ने लगते हैं. बाल गिरने लगते हैं। स्किन का रंग ग्रे दिखने लगता है। इसका असर हाथ, पैर, पेट और पीठ पर दिखता है, इसलिए इसे ब्लैक फीवर का नाम दिया गया है। वहीं इस बिमारी के लिए अब तक कोई टीका विकसित नहीं हो पाया है।