
जब NASA चीफ ने ISRO की तैयारी देख मांगी थी माफी
Chandrayaan-3 anding ISRO india Mission: भारत चांद पर आज इतिहास रचने जा रहा है। आज शाम को चंद्रयान-3 लैंड होने जा रहा है। इस मौके पर पूरी दुनिया की नजर भारत के मिशन मून पर टिकी हुई है। देशभर में मंदिर से लेकर मस्जिद चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के लिए कामना की जा रही है। साल 1992 में अमरीका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) पर दो साल का प्रतिबंध लगा दिया था। उस समय यूएस ने रूस पर दबाव बनाकर ISRO के साथ क्रायोजेनिक इंजन तकनीक साझा करने से भी रोक लगा दी थी। कुल मिलाकर अमरीका चाहता था कि भारत को मिसाइल विकसित करने की तकनीक प्राप्त ना हो। इसलिए उसने 6 मई 1992 से 6 मई 1994 तक प्रतिबध लगाया था।
नासा चीफ ने मांगी थी माफी
इसके बाद साल 2006 नासा प्रमुख ग्रिफिन ने भारत के पहले मून मिशन, चंद्रयान-1 में दो अमरीकी वैज्ञानिक उपकरणों को शामिल करने पर इसरो चीफ जी माधवन नायर के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। MoU पर साइन करने के बाद के बाद प्रेस कॉन्फ्रेन्स में ग्रिफिन ने 1992 से 1994 के बीच इसरो पर लगाए गए प्रतिबंधों के लिए माफी भी मांगी थी। उन्होंने कहा था कि मुझे अतीत के बारे में जानकर दुख है। लेकिन मैं भारतीय अंतरिक्ष की प्रभावशाली क्षमताओं और भारतीय तकनीक की निखरती क्षमताओं के बारे में निश्चित रूप से एक अच्छा शब्द ही सामने रखूंगा।
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30 सालों बाद नासा चीफ आए थे भारत
साल 2006 में इसरो के अध्यक्ष जी माधवन नायर थे। उस वक्त नासा के चीफ माइकल ग्रिफिन थे। नासा चीफ 30 सालों बाद 9 से 11 मई 2006 को भारत दौरे पर आए थे। वह दो दिनों तक भारत में ठहरे थे। इस दौरान उन्होंने इसरो के तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के लॉन्चिंग सेंटर और थुंबा स्पेस म्यूजियम का दौरा किया था।
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Published on:
23 Aug 2023 12:58 pm
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